बंगलुरू: कर्नाटक में चीनी उद्योग संकट में हैं। कर्नाटक में किये गये एक अध्ययन यह बात कही गई है। अध्यन के मुताबिक उद्योग में विनियमन और मूल्य निर्धारण के लिए कुछ ज्यादा ही नियम हैं।
पहले इंडिया फाउंडेशन द्वारा ए इंटीग्रेटेड वैल्यू चेन अप्रोच टू ईज ऑफ डूइंग बिजनेस: ए केस स्टडी ऑफ शुगर, एल्को-बेव, एंड टूरिज्म पर एक अध्ययन कराया है जिसे बंगलुरु में सोमवार को जारी किया गया।
शुगर ग्रोथ पर रिपोर्ट में कहा गया है कि यह उद्योग विनियमित तो है लेकिन यहां विनियमन कुछ ज्यादा ही है। इससे उद्योग को अनेक संकटों का सामना करना पड़ रहा है। चीनी उद्योग की एक सबसे बड़ी समस्या है, इसके गन्ने का मूल्य निर्धारण नहीं होना। जबकि रंगराजन समिति ने किसानों और मिलरों के बीच एक राजस्व-साझाकरण मॉडल की सिफारिश की है। इसे पूरी तरह से लागू करने की आवश्यकता है, यह रिपोर्ट में कहा गया है। यह भी कहा गया है कि शुगर इंडस्ट्री के बाय-प्रोडक्ट्स का व्यस्थित इस्तेमाल करके इंडस्ट्री के फाइनेंशियल हेल्थ को सुधारा जा सकता है।
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