नई दिल्ली: केंद्र सरकार तेल के आयातों को कम करने के लिए पेट्रोल में इथेनॉल के सम्मिश्रण को बढ़ाना और इथेनॉल के उत्पादन को बढ़ाना चाहती है।
खबरों के मुताबिक उपभोक्ता मामलों, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि इथेनॉल उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर 3.55 बिलियन लीटर से 9 बिलियन लीटर करने की योजना है। उन्होंने कहा कि इसके लिए उन्होंने 5.5 बिलियन लीटर की क्षमता और बढ़ाने के लिए चीनी मिलों में 362 नए संयंत्रों को सैद्धांतिक मंजूरी दी है। इसके लिए 18,000 करोड़ रुपये की लागत आएगी।
इथेनॉल के इस क्षमता विस्तार का मकसद वर्ष 2022 तक सरकार पेट्रोल में 10% इथेनॉल सम्मिश्रण के लक्ष्य को पूरा करना चाहती है। इससे देश के तेल आयात में सालाना 2 मिलियन टन की कमी और तेल आयात बिल में 7,000 करोड़ रुपये की कमी आने की संभावना है।
देश में चीनी अधिशेष से निपटने के लिए सरकार ने मिलों को चीनी इथेनॉल में परिवर्तित करने की अनुमति दी है। हालही में केंद्र सरकार ने बी- हैवी मोलासेस वाले इथेनॉल की कीमतें 52.43 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 54.27 रुपये प्रति लीटर कर दी हैं और वही दूसरी ओर सी-हैवी मोलासेस वाले इथेनॉल की कीमत 43.46 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 43.75 रुपये लीटर कर दी हैं। गन्ने के रस, चीनी, चीनी सीरप से सीधे बनने वाले इथेनॉल का भाव 59.48 रुपये प्रति लीटर कर दिया गया है। वही दूसरी ओर चीनी की न्यूनतम बिक्री मूल्य 31 रूपये प्रति किलो है।
अधिकारी ने कहा कि सरकार को 10% सम्मिश्रण लक्ष्य को पाने के लिए देश को कम से कम 4.25 बिलियन लीटर इथेनॉल की जरुरत पड़ेगी।
खबरों के अनुसार चीनी मिलों की लाभप्रदता बढे और इथेनॉल उत्पादन के लिए अगले दो वर्षों में 700,000-800,000 टन अधिशेष चीनी को डायवर्ट करने का सरकार लक्ष्य रख रही है।
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