चेन्नई : तमिलनाडु के राजनीती में किसानों का बहुत महत्व है, जिसके चलते यहाँ के नेता किसानों को सामने हमेशा एक अछि छवि में रहना चाहते है।
राज्य के मुख्यमंत्री एडापपड़ी पलानीस्वामी धान की रोपाई करने के लिए मैदान में उतरे और तिरुवरूर जिले में एक कार्यक्रम में बैलगाड़ी पर पहुंचे, ऐसा प्रतीत होता है कि, वे अपनी एक किसान हितेशी छवि पेश करने का प्रयास कर रहे हैं। फरवरी में, उन्होंने सलेम में कृषि और कृषि-विपणन पर एक मेगा इवेंट आयोजित किया और इस अवसर पर उन्होंने घोषणा की कि, उनकी सरकार कावेरी डेल्टा को संरक्षित कृषि क्षेत्र घोषित करने के लिए एक कानून लाएगी। कुछ ही समय में, उन्होंने मंत्रियों, अधिकारियों और अन्य प्रतिनिधियों के एक प्रतिनिधिमंडल को नई दिल्ली में भेजा और केंद्र सरकार की मंजूरी हासिल की।तत्पश्चात, विधानसभा ने डेल्टा के चुनिंदा क्षेत्रों में किसी भी नई कृषि बाधक परियोजनाओं पर प्रतिबंध लगाने वाला कानून पास किया।
तमिलनाडु फेडरेशन के महासचिव और पोंडी स्टेट प्राइवेट शुगर मिल गन्ना उत्पादक संघ के महासचिव एस. वेंकटेशन चाहते है कि, मुख्यमंत्री यह सुनिश्चित करें कि किसानों को कृषि विपणन और कृषि आयुक्त द्वारा संचालित विनियमित बाजारों में धान के लिए न्यूनतम वैधानिक मूल्य का भुगतान किया जाना चाहिए।गन्ना किसानों का बकाया भुगतान के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। उन्होंने आगे कहा की मुख्यमंत्री को इस समस्याओं पर काम करना चाहिए।
उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र कि तरह तमिलनाडु में भी गन्ना किसान गन्ना बकाया भुगतान में हो रही देरी से काफी परेशान है। प्रदेश में कई सारी मिलें सुखे के कारण पर्याप्त गन्ना उपलब्ध न होने के कारण चीनी सीजन में सहभाग नही ले सकी। जिससे उनके आर्थिक हालात काफी खराब हुए, इसके चलते वो मिलें किसानों का भुगतान करने में भी विफल रही है।
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