लखनऊ: गन्ने की बम्पर उत्पादन से चीनी उद्योग पर पड़ रहे दबाव को कम करने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने कमर कस ली है, इसके तहत उत्तर प्रदेश सरकार ने अब खांडसारी और गुड़ उद्योग को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है। इससे राज्य में बंद पड़े क्रेशर और कोल्हू पुनर्जीवित हो सकेंगे। सरकार ने गुड़ कोल्हू को भी लाइसेंस मुक्त कर दिया है। साथ ही खांडसारी इकाइयों के लिए भी चीनी मिल से दूरी घटाकर 15 से 8 किलोमीटर कर दी है।
खांडसारी इकाई के लाइसेंस के लिए आनलाइन पंजीकरण की व्यवस्था कर दी है। नगदी की जरूरत को पूरा करने के लिए किसान कोल्हुओं व क्रेशरों पर नगद में गन्ना बेचते रहे हैं। कोल्हुओं, क्रेशरों पर गन्ने के दाम गुड़ के दामों पर निर्भर करते हैं। बाजार में गुड़ का दाम अच्छा है तो यहां पर किसानों को गन्ना मूल्य ज्यादा मिल जाता है। लखीमपुर जिल्हे की बात की जाए तो पहले जिले में गांव गांव में कोल्हू व 100 से अधिक क्रेशर संचालित होते थे। इनमें से खांडसारी इकाइयां घटकर करीब 20 रह गई हैं।
नई खांडसारी नीति से ‘अच्छे दिन’
प्रदेश सरकार ने गुड़ इकाइयों को लाइसेंस मुक्त किया तो खांडसारी विभाग में जानकारी लेने गांव-गांव से लोग पहुंचने लगे। खांडसारी अधिकारी सीएम उपाध्याय की मानें तो इस बार जिले में गांव-गांव में एक बार फिर गुड़ इकाइयों का कारोबार बड़े पैमाने पर शुरू होने के आसार दिख रहे हैं। खांडसारी यूनिट की तरफ भी लोगों का रुझान बढने लगा है। खांडसारी इकाई के लिए बरौला शुगर इंडस्ट्रीज को लाइसेंस स्वीकृत कर दिया गया है। यह इकाई विकास खंड बेहजम में स्थापित होगी। गन्ना एवं चीनी आयुक्त कार्यालय से छह खांडसारी इकाइयों की स्थापना के लिए अब तक लाइसेंस जारी हुए हैं। जिसमें खीरी जिला भी शामिल है।