बेंगलुरू: चीनी मिलों को अन्य देनदारियों के बजाए पहले किसानों का बकाया चुकता करने को प्राथमिकता देने होगी, ऐसे स्पष्ट निर्देश कर्नाटक के लोकायुक्त न्यायमूर्ति पी. विश्वनाथ शेट्टी दिए है। न्यायमूर्ति शेट्टी ने बकाया भुगतान में देरी के कारण गन्ना किसानों माली हालत बहुतही खस्ता हो चुकी है, इसको को देखते हुए लोकायुक्त ने यह सिफारिश की। उन्होंने कहा की, राज्य सरकार को यह तय करना चाहिए की, किसानों और चीनी मिलों के बीच हुए समझौतों में किसान का बकाया रखना क्या वाजिब है ।
लोकायुक्त ने कहा कि, गन्ने से उत्पादित चीनी पर पहला हक किसानों का है, इसलिए चीनी मिलों का यह फ़र्ज़ है की, वो सबसे पहेले किसानों की रकम का भुगतान करे, किसानों की हितों की रक्षा के लिए आवश्यक सरकारी आदेश जारी करके, सरकार इस सभी प्रक्रिया की जांच कर सकती हैं, ऐसा भी लोकायुक्त ने स्पष्ट कर दिया है।
उन्होंने कहा की, कठिनाईयों जुज रहे चीनी मिलों की बात सुन लेनी चाहिए, लेकिन इसके लिए किसानों के हित को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। मुझे यकीन है कि गन्ना आयुक्त इस मामले के इस पहलू की जांच करेंगे और राज्य में सभी गन्ना उत्पादकों की रक्षा के लिए तत्काल कदम उठाए जायेंगे।
लोकायुक्त ने कहा कि, किसान पूरी तरह से गन्ना के आय पर ही निर्भर होते है. इन परिस्थितियों में, चीनी मिलों द्वारा उत्पादित चीनी पर किसानों का सबसे पहला हक है और चीनी की बिक्री से पहेले किसानों को भुगतान करना चाहिए । लोकायुक्त ने कहा, “मुझे यकीन है कि बल्लारी के डिप्टी कमिश्नर किसानों की बकाया राशि चुकता करने के लिए तत्काल और प्रभावी उपाय करेंगे।”
राज्य कबू बेलेगारा संघ के सचिव एम देवराजू ने वर्ष 2013-14 के लिए गन्ना देय बकाया राशि के मामले में लोकायुक्त से शिकायत की थी । लोकायुक्त ने जवाब में, चीनी आयुक्त डॉ अजय नागभूषण को किसान का बकाया देने में नाकामयाब रहने वाली चीनी मिलों के खिलाफ कड़े कदम उठाने के निर्देश दिए थे । इसके चलते आईएसआर शुगर द्वारा `4 करोड़ की राशि जमा की गई है और वर्ष 2014-15 और 2015-16 के लिए कारखाने की कुल देयता है `13 करोड़ है ।