नई दिल्ली / लखनऊ : चीनी मंडी
कोरोना वायरस के कारण देश में लॉकडाउन से इथेनॉल की बिक्री कम हुई है, क्योंकि तेल कंपनियों द्वारा मांग घट गई है। उत्तर प्रदेश चीनी मिलर्स एसोसिएशन (UPSMA) ने संकट से निपटने के लिए, केंद्र सरकार से वर्तमान 10% इथेनॉल सम्मिश्रण प्रतिशत को बढ़ाकर 15% करने का आग्रह किया है। उत्तर प्रदेश देश का शीर्ष इथेनॉल उत्पादक है। UPSMA के जनरल सेक्रेटरी दीपक गुप्तारा द्वारा खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण सचिव को लिखे पत्र में कहा गया है कि, सबसे प्रतिकूल और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के बावजूद, यूपी में चीनी उद्योग किसानों के हितों का ध्यान रखने में सबसे आगे रहा है। लेकिन इस समय, उद्योग एक बड़े संकट से गुजर रहा है क्योंकि चीनी बाजार सुस्त बना हुआ है।
गुप्तारा ने कहा, सफेद चीनी की बिक्री पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है और बंदरगाहों पर डिस्पैच की समस्या के कारण कच्ची चीनी के निर्यात में भी कमी आई है। लॉकडाउन अवधि के दौरान डीजल और पेट्रोल के कम मांग के कारण ‘ओएमसी’ द्वारा इथेनॉल की मांग भी काफी घट गई है। हम सरकार से आग्रह करते हैं कि उत्तर प्रदेश राज्य में वर्तमान 10% से सम्मिश्रण प्रतिशत को बढ़ाकर 15% करने पर विचार करें।
हालही में, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने फरवरी में बजट सत्र के दौरान राज्य विधान सभा को सूचित किया था कि, राज्य की इथेनॉल क्षमता बढ़ी है, जिसके परिणामस्वरूप उत्तर प्रदेश, देश के शीर्ष इथेनॉल उत्पादक के रूप में उभरा है।
चीनी मिलों का कहना है की मांग कम होने के कारण उन्हें इथेनॉल स्टॉक करने में दिक्कतें हो रही है।
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