लंदन: कोरोना वायरस की वैश्विक महामारी ने इथेनॉल के उत्पादन को जोरदार झटका दिया है। इस महामारी से बचाव और लॉकडाउन के कारण पेट्रोल की मांग जबरदस्त प्रभावित हुई है। परिणामस्वरुप, इसमें सम्मिश्रित किया जाने वाला इथेनॉल का उत्पादन घटकर वर्ष 2013 के स्तर तक जा सकता है। इसमें सुधार की फिलहाल वर्ष 2022 तक कोई गुंजाइश नहीं दिखाई देती। ग्लोबल इथेनॉल मार्केट डेवलपमेंट, यूएस ग्रेन्स काउंसिल के निदेशक ब्रायन हिली ने ग्लोबल ग्रेन द्वारा प्रायोजित एक वेबिनार में यह जानकारी दी।
वैसे तो सरकार की नीतियां इथेनॉल की मांग में सुधार ला सकती है, लेकिन इस समय पूरी दुनिया कोरोना महामारी से ग्रसित है। देश अपने लोगों के कल्याण और स्वास्थ्य सेवाओं पर अधिक ध्यान दे रहे हैं। हिली ने कहा कि अमेरिका का लगभग आधा उद्योग बंद हो गया है। बहुत ही कम उद्योगों में काम चल रहा है। चीन और अमेरिका के कुछ हिस्सों में स्थिति सामान्य होने लगी है, लेकिन गैसोलीन और इथेनॉल की मांग अभी भी अमेरिका, यूरोपीय संघ और भारत सहित प्रमुख गैसोलीन बाजारों में गिर रही है।
हिली ने कहा कि वर्ष 2020 के बाद सरकारी नीतियों के अमल में लाने से ही इथेनॉल की मांग में इजाफा हो सकता है। विश्व के 65 से अधिक देशों में जैविक बायोफ्यूल से संबंधित नीतियां कार्यान्वित हुईं हैं जिसमें 13 देशों ने पिछले दो वर्षों में इसके विस्तार की घोषणा की है। लेकिन कोरोना संकट के कारण इन्हें लागू करने में देरी हो रही है।
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