लखनऊ: कोरोना महामारी से बचाव और रोकथाम के लिए चीनी मिलों का योगदान दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। कोरोना से लड़ने के लिए हैंड सैनिटाइजर बहुत महत्वपूर्ण है। और उत्तर प्रदेश यह सुनिश्चित कर रहा है की उनके राज्य के आलावा अन्य राज्यों को भी अधिक से अधिक सैनिटाइजर उपलब्ध हो ताकि पूरा देश मिलकर कोरोना को हरा सके।
उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों ने अपने कुल 36 लाख लीटर सैनिटाइजर के उत्पादन का 40 फीसदी भाग देश के दूसरे राज्यों को दिया है। कोरोना संकट के प्रसार को रोकने के इस दौर में देश के दूसरे राज्यों को भी आज सैनिटाइजर की सख्त जरुरत है। उत्तर प्रदेश की चीनी मिलें अन्य राज्यों को कोरोना से लड़ने में मदद कर रही है।
राज्य के प्रमुख सचिव (आबकारी) संजय भूसरेड्डी ने कहा कि राज्य की डिस्टिलरीज ने इस समय कुल 36 लाख लीटर सैनिटाइजर का उत्पादन किया है जिसमें से 14.50 लाख लीटर सैनिटाइजर को दिल्ली, महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, तमिलनाडु, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, बिहार, असम, ओडिशा, राजस्थान, मेघालय, केरल, झारखंड, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, गुजरात, जम्मू और कश्मीर, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, नागालैंड और दादर और हवेली भेजा गया है।
उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों में हर दिन की सैनिटाइजर उत्पादन करने की क्षमता को बढ़ाकर अब दो लाख लीटर प्रति दिन कर दिया गया है। कोरोनो वायरस महामारी से लड़ने के लिए जरुरी सैनिटाइजर उत्पादन करने वाली जिन चीनी मिलों की उत्पादन क्षमता मार्च में 40,000 लीटर प्रतिदिन थी, को अब बढ़ा दिया गया है ताकि सैनिटाइजर की मांग को पूरा किया जा सके। इसके अलावा, अनेक केमिकल यूनिटों और चीनी मिलों को भी सैनिटाइजर के उत्पादन के लिए नए प्लांट लगाने की भी मंजूरी दी गई है।
गन्ने का पेराई सत्र धीरे-धीरे समाप्त होने लगा है। चीनी मिलें सैनिटाइजर के उत्पादन में लगी हुई हैं। पेराई सीजन समाप्त होने के बाद भी यहां सैनिटाइजर उत्पादन जारी रह सकता है।
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