लोनी/ ग़ाज़ियाबाद, 06 मई:
कोरोना वायरस के कारण देशभर में हुए लॉकडाउन के चलते गन्ना और चीनी उद्यमियों को ख़ासा परेशानियों का समाना करना पड़ रहा है। हालाँकि अब कई जगह जो ग्रीन जॉन में है उनमें लॉकडाउन खुलने के साथ कृषि आधारित उद्योगों को अपनी कारोबारी गतिविधियां शुरु करने की अनुमति भी मिल चुकी है लेकिन बावजूद इसके फिर भी चीनी उद्योग के सामने कई तरह की चुनौतियाँ है जिनसें उद्योग को जल्द उबरना होगा। हालाँकि लॉकडाउन के कारण इथेनॉल बनाने वाली मिलों को भी अपेक्षित ऑर्डर नहीं मिले जिसके कारण मिलों के सामने किसानों का गन्ना बकाया चुकाने जैसी कई वित्तीय चुनौतियां सामने है।
देश में लॉकडाउन के दौरान इथेनॉल के उत्पादन और खपत के मसले पर बात करते हुए उत्तर प्रदेश के लोनी स्थित डीसीएम श्रीराम ग्रुप चीनी मिल के प्लांट हैड पंकज कुमार सिंह ने कहा कि कोरोना वायरस के कारण पूरे देश में लॉकडाउन घोषित हो चुका था जिसके कारण बीते डेढ़ माह के दौरान सडकों पर वाहनों की आवाजाही कम हो गयी थी साथ ही पैट्रोल की खपत कम हो गयी थी। ऐसे में मिलों में इथेनॉल के उत्पादन के बावजूद ऑयल मार्केटिंग कम्पनियों ने बीते साल की तुलना में इथेनॉल के ऑर्डर काफी कम मात्रा में लिये हैं। पंकज सिंह ने कहा कि यूपी बड़ा गन्ना उत्पादक प्रदेश है यहां इथेनॉल भी ज्यादा उत्पादित होता है। चीनी मिलों को इससे अतिरिक्त आमदनी भी होती है लेकिन इस बार लॉकडाउन के दौरान इथेनॉल की मांग घटने से मिल मालिकों के पास अतिरिक्त आमदनी की संभावनाएँ कम हो जाने से गन्ना किसानों का गन्ना बकाया चुकाने में भी समस्या हो रही है। पंकज सिंह ने कहा कि सरकार को ऐसी स्थिति में पैट्रोल में इथेनॉल मिलाने की सीमा 10 प्रतिशत से बढ़ाकर कम से कम 13 फीसदी कर देना चाहिए इससे इन्डस्ट्री को तो फायदा होगा ही ऑयल कम्पनियों को भी किसी तरह का नुक़सान नहीं होगा। पंकज सिंह ने एक और मुद्दा उठाते हुए कहा कि जब हम ऑयल कम्पनियों तक इथेनॉल भेजते है तो ये कम्पनियाँ किराया काफी कम देती है। इस नुकसान से बचने के लिए चीनी मिलें अपने नजदीकी ऑयल कम्पनी को ही इथेनॉल की आपूर्ति करने पर ज्यादा जोर देती है ताकि वाहन खर्चे से बचा जा सके। माल भाड़ा कम देने की इस समस्या पर भी ऑयल कम्पनियों को ध्यान देना चाहिए।
इथेनॉल की मांग में आयी कमी और इसकी ब्लेंडिग की मात्रा बढ़ाने के मसले पर पैट्रोलियम मंत्रालय के पूर्व सलाहकार वीके शर्मा ने कहा कि लॉकडाउन के कारण पैट्रोल की खपत में कमी आने से ये स्थितियाँ बनी है जिसके कारण इथेनॉल के उठाव में देरी हुई है, अब काम गति पकड़ रहा है। मेरी जानकारी के अनुसार जितनी इथेनॉल की माँग है उसकी आपूर्ति के लिए राज्यों के डिपो में इथेनॉल मंगवाया जा रहा है जिससे इस समस्या का जल्द समाधान हो जाएगा।
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