कोल्हापुर : चीनी उद्योग, जो पिछले कुछ वर्षों से वित्तीय संकट में है, अब कोरोना वायरस संकट का सामना कर रहा है। चीनी मिलें दावा करती आ रही है की चीनी की MSP और उत्पादन खर्च में अंतर है और इसलिए MSP बढ़ना चाइये क्यूंकि उन्हें नुक्सान हो रहा है। ऐसे में समय में कोरोना के कारण चीनी की निर्यात ठप हो गई है और घरेलू बाजार में चीनी बिक्री भी पूरी तरह से धीमी हो गई है। नतीजतन, चीनी उद्योग, जो देश के कपड़ा उद्योग के बाद दूसरे स्थान पर है, इसमें एक ठहराव पर आ गया है।
अगर चीनी उद्योग को हो रही दिक्कतों का समाधान नहीं हुआ आने वाले नए सीजन में चीनी उद्योग की मुश्किलें और बढ़ सकती है।
आर्थिक तंगी होने के कारन चीनी मिलें गन्ना बाकय भी नहीं चूका पा रही है। निर्यात और घरेलु बिक्री ठप होने के करना मिलों के गोदामों में चीनी के ढेर बढ़ते ही जा रहे है और साथ ही अभी भी उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में पेराई जारी है, जिसके कारण गन्ना बकाया भी बढ़ता ही जा रहा है।
अगर सरकार चीनी MSP बढ़ा देती है तो चीनी मिलों को थोड़ी राहत मिलेगी और वे गन्ना बकाया भी चूका सकेंगे। जिसके कारण वे आने वाले गन्ना पेराई सीजन को अच्छे से शुरवात कर सकते है।
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