कोइम्बतूर: तमिलनाडू के गन्ना किसानों को उपज में सुधार के लिए नवीनतम तकनीकों और नई किस्में स्वीकार करने का आवाहन सरकारद्वारा किया गया, कोइम्बतूर में आयोजित किसान समृद्धि मेला के दौरान सरकार ने गन्ना किसानों के सामने यह बात रखी।
गन्ना प्रजनन संस्थान के वैज्ञानिक राजूला शांथी ने कहा की, किसान गन्ने की उपज करने का पुराना तरीका छोड़ कर गन्ना रोपण का चयन करें। जबकि पुराने तरीके से केवल एक गोली एक कली निकलती है, वहीं रोपण से किसानों को ज्यादा गन्ना मिलता है, गन्ना उपज बढ़ाने के लिए हम गन्ना किसानों को कलियों के बजाय रोपण लगाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।
साथ ही तमिलनाडू सरकार गन्ना के लिए सब्सिडी देकर प्रोत्साहित कर रही है। सिलीस के प्रभारी उप निदेशक ने कहा, “बहुत से लोग नहीं जानते कि राज्य सरकार प्रति हेक्टर 11,250 रुपये की सब्सिडी दे रही है, जो गन्ना बुआई लागत का आधा हिस्सा है ।” “एक बीज रोपण से लगाने से फसल की अवधि 12 महीने से 11 महीने तक कम हो जाती है। एक बीज रोपण 5 फीट 2 फीट लगाए जाते हैं ।
किसान समृद्धि मेले में सीओ 86032 और सीओ 212 जैसी नई गन्ना किस्मों के मॉडल प्रदर्शित किए गये है।”सिलस ने कहा की, “ये किस्में गन्ना उत्पादन बढ़ाती है और कम से कम 9% की जादा चीनी निर्माण करती हैं, जिससे किसानों की आय में भी बढ़ोतरी हो सकेगी। लेकिन, किसान अक्सर नई किस्मों को अपनाने से हिचकिचाते हैं ।
गन्ने से बनने वाली मूल्यवर्धित उत्पादों पर बहुत अधिक जोर दिया गया है, जो किसानों की चीनी मिलों पर निर्भरता को कम करेंगे और किसानों को आय का नया विकल्प देगा। मेलें में गुड़ के सामान, तरल गुड़, गुड़-आधारित मिठाई और स्नैक्स, गन्ना बैगेज से बने कागज और बक्से, गन्ना की छड़ें और फ्लाईश ईंटों से बने हस्तशिल्प जैसे उत्पादों को प्रदर्शित किया है ।
स्थानीय प्रशासन और ग्रामीण विकास मंत्री एसपी वेलुमानी ने कहा कि, मुख्यमंत्री जयललिता ने पांच साल के भीतर किसान की आमदनी को दोगुना करने का सपना पूरा करने के लिए कदम उठाये थे, इसके चलते राज्य में प्रौद्योगिकी और शोध महत्वपूर्ण है ।