लखनऊ : दो महीने के लंबे लॉकडाउन ने अर्थव्यवस्था के अधिकांश अन्य क्षेत्रों में कहर बरपाया है, लेकिन फिर भी उत्तर प्रदेश चीनी उद्योग ने अब तक का चीनी का रिकॉर्ड उत्पादन ब्रेक किया है। 27 मई तक, राज्य की चीनी मिलों ने 2017-18 चीनी सीजन के 120.45 लाख टन के उच्चतम उत्पादन के मुकाबले 124.92 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है। पिछले साल इसी तारीख को राज्य ने 117.68 लाख टन उत्पादन किया था। फाइनेंशियल एक्सप्रेस के मुताबिक गन्ना विभाग के प्रमुख सचिव संजय भूसरेड्डी ने कहा कि, राज्य में 119 चीनी मिलों में से 94 ने संचालन बंद कर दिया है, जबकि 25 अभी भी शुरू हैं। पिछले साल इसी दिन 119 में से 109 ने मिलें बंद हुई थी। उन्होंने कहा की, किसान हमारी प्राथमिकता हैं। इसलिए जब तक गन्ना खेतों में खड़ा है, हमने मिलों को पेराई जारी रखने का निर्देश दिया है।
दिलचस्प बात यह है कि, इस साल उत्तर प्रदेश में पेराई सीजन लंबा हो गया है। ज्यादातर गुड़ और खांडसारी इकाइयां समय से पहले बंद होने के कारण गन्ने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा पेराई के लिए चीनी मिलों को भेजा जा रहा है। कोरोना संकट के कारण चीनी उद्योग पर गहरा असर हुआ है।
कोरोना वायरस महामारी के कारण चीनी उद्योग पर काफी गहरा असर हुआ है। देशव्यापी लॉकडाउन के चलते घरेलू और वैश्विक बाजारों में चीनी बिक्री ठप हुई है, जिसका सीधा असर मिलों के राजस्व पर दिखाई दे रहा है। आइसक्रीम, कोल्डड्रिंक और चॉकलेट जैसे विविध प्रकार के उत्पादों के कन्फेक्शनरों और निर्माताओं से औद्योगिक इस्तेमाल के लिए मांग में गिरावट के कारण चीनी की बिक्री ठप है। इसके अलावा चीनी के उप-उत्पाद की बिक्री भी धीमी है। मार्च और अप्रैल में चीनी की बिक्री लॉकडाउन के कारण एक मिलियन टन कम थी। चीनी बिक्री न होने से चीनी मिलों के सामने गन्ना भुगतान करने की भी चिंता है।
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