नयी दिल्ली, 27 अगस्त (भाषा) सरकार को एथनॉल क्षमता के विस्तार तथा इकाई लगाने के लिये हाल में शुरू योजना के तहत करीब 150 प्रस्ताव मिले हैं। इसमें बजाज हिंदुस्तान जैसी कंपनियों के प्रस्ताव शामिल हैं। खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आज यह कहा।
सरकार ने जून में एथनॉल क्षमता सृजित करने के लिये मिलों को 4,440 करोड़ रुपये का सस्ता कर्ज देने की घोषणा की। साथ ही एक साल की रोक के साथ 1,332 करोड़ रुपये की ब्याज सहायता का भी वहन करने का वादा किया है। सरकार ने गन्ना किसानों के भारी बकाये के भुगतान के लिये कदम उठाये हैं, यह उसमें शामिल है।
एक अधिकारी ने ‘पीटीआई भाषा’ से कहा, ‘‘चीनी मिलों ने एथनॉल क्षमता सृजित करने के लिये रूचि दिखायी है। हमें अबतक 150 प्रस्ताव मिले हैं। हम उसकी जांच कर रहे हैं।’’
ये प्रस्ताव देने वाले ज्यादातर मिल उत्तर प्रदेश के बाहर के हैं। उत्तर प्रदेश देश में सबसे बड़ा गन्ना उत्पादक राज्य है। प्रस्ताव में नई एथनॉल क्षमता के विस्तार के साथ उसकी स्थापना शामिल हैं।
अधिकारी के अनुसार यह जरूरी नहीं है कि मंत्रालय से प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद वह बैंकों के लिये कर्ज देने को लेकर बाध्यकारी हो।
उसने कहा, ‘‘एक बार हम प्रस्ताव को मंजूरी देते हैं, वह वित्त मंत्रालय में वित्तीय सेवा विभाग के पास जाएगा। उस पर विचार करने के बाद उसे संबंधित नोडल बैंक को भेजा जाएगा। बैंक परियोजना रिपोर्ट, मिल का बही-खाता देखेगा और उसके बाद निर्णय करेगा।’’
फिलहाल बैंक चीनी क्षेत्र में जोखिम को देखते हुए चीनी मिलों को कर्ज देने को लेकर गंभीर नहीं है। हालांकि यह देखना होगा कि कितनी मिलें योजना के तहत सब्सिडी वाले ब्याज दर पर सस्ता कर्ज प्राप्त कर पाएंगी।
गन्ने से निकाला जाने वाला एथनॉल का उपयोग पेट्रोल में मिलाने में किया जाएगा और इससे किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिल पाएगा। पेट्रोल में एथनॉल के मिश्रण से देश को आयात बिल में कमी लाने में मदद मिलेगी।