पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा चीनी मिल का निजीकरण नहीं करने का आग्रह

मैसूर: बागलकोट स्थित निरानी शुगर्स को राज्य की सबसे पुरानी शुगर फैक्ट्रियों में से एक पांडवापुरा शुगर फैक्ट्री को लीज पर देने के एक दिन बाद, विपक्षी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या ने सरकार से मांड्या में राज्य संचालित दशकों पुरानी मायशुगर फैक्ट्री का निजीकरण नहीं करने का और इसे सरकारी नियंत्रण में बनाए रखने का आग्रह किया है।

मुख्यमंत्री बी.एस.येदियुरप्पा को लिखे पत्र में सिद्धरामय्या ने कहा कि, मायसुगर के 14,046 शेयरधारक हैं, जिनमें से अधिकांश किसान हैं। चीनी मिल में प्रति दिन 5,000 मीट्रिक टन की पेराई क्षमता है और इसमें सह-उत्पादन बिजली संयंत्र, इथेनॉल और डिस्टिलरी इकाइयां हैं और अन्य उप-उत्पादों के उत्पादन की भी सुविधा है। उन्होंने कहा कि, फैक्ट्री 207 एकड़ क्षेत्र में फैली हुई है, यह देश के कुछ गिनीचुनी चीनी मिलों में से एक है, जिसके पास इतनी बड़ी भूमि है।

उन्होंने कहा कि, सरकार ने 2013 से 2018 के बीच पिछले पांच वर्षों में संघर्षरत मिल को पुनर्जीवित करने के लिए लगभग 30 करोड़ खर्च किए थे। सरकार को इस प्रतिष्ठित मिल के निजीकरण के लिए कोई भी कदम नही उठाना चाहिए, जिसका वर्तमान में करोड़ों रुपये का मूल्य है और इसके बजाय, किसानों और आम जनता के बेहतर हितों के लिए, हर संभव तरीके से मिल को पुनर्जीवित करना चाहिए।

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