काठमांडू : चीनी मंडी
देश की चीनी उद्योग की चीनी की खपत में सुधार लाने के लिए नेपाल सरकार ने कुछ समय के लिए चीनी आयात पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। इस फैसले से भारत और पाकिस्तान के चीनी निर्यात पर नकारात्मक असर दिख सकता है। नेपाल के औद्योगिक, वाणिज्य और आपूर्ति (एमओआईसीएस) मंत्रालय के अधिकारी के अनुसार, प्राधिकरण ने हाल ही में नेपाल मंत्रिमंडल को चीनी आयात पर ‘रोक लगाने’ के लिए एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया है।
नेपाल की चीनी मिलें भी संकट में…
भारत और पाकिस्तान से नेपाल में चीनी निर्यात करने से नेपाल की चीनी मिलों को नुकसान उठाना पड़ रहा है, नेपाल में भारत और पाकिस्तान आयात होने वाली चीनी नेपाल में उत्पादित होनेवाली चीनी से सस्ती होने के कारण नेपाल का चीनी उद्योग संकट से घिरा है। इसके चलते नेपाल के वाणिज्य और आपूर्ति मंत्रालय (एमओआईसीएस) ने हाल ही में नेपाल कैबिनेट को एक निश्चित समय के लिए चीनी आयात पर रोक लगाने के लिए एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया है, जब तक कि देश के चीनी मिलों का स्टॉक पूरी तरह खत्म नही हो जाता है।
हमारे निरीक्षण के दौरान, हमने देखा कि स्थानीय चीनी मिलों को अपने स्टॉक की बिक्री करने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। इस प्रकार, हमने एक निश्चित अवधि के लिए चीनी के आयात को रोकने की सिफारिश की है, – वरिष्ठ अधिकारी, एमओआईसीएस
कुछ हफ्ते पहले, एमओआईसी के संयुक्त सचिव नबराज ढकल ने अध्ययन समिति के सदस्यों को सुझाव दिया था कि, सरकार को चीनी आयात को रोकने के लिए आयात शुल्क बढ़ाना चाहिए। नेपाल की चीनी मिलों की भारी दबाव के बाद, सरकार ने मार्च के दौरानआयात शुल्क को 15 से 30 प्रतिशत तक बढ़ाया था। लेकिन फिर भी नेपाल सरकार अपेक्षित नतीजे पाने में विफल रही।
गोदामों में 7 अरब रुपये से ज्यादा चीनी
चीनी मिल ऑपरेटर चीनी पर आयात कर बढ़ाने के लिए सरकार को राजी कर रहे थे, जिसमें कहा गया था कि, उन्हें न केवल चीनी बिक्री में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा था बल्कि गन्ना किसानों को भुगतान करने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है । उन्होंने दावा किया की, उनके गोदामों में 7 अरब रुपये से ज्यादा चीनी पड़ी है। नेपाल शुगर मिल्स एसोसिएशन (एनएसएमए) का कहना है कि, पिछले साल नेपाल में उत्पादित 178,000 टन चीनी में से केवल 60,000 टन चीनी ही बेचीं गयी हैं।
“नेपाली चीनी की उत्पादन लागत भारत और अन्य देशों के उत्पादन लागत की तुलना में काफी अधिक है। ‘एनएसएमए’ के महासचिव राजेश केडिया ने कहा, “कुछ समय के लिए पूरी तरह चीनी आयात से ही नेपाल की चीनी मिलों को राहत मिलेगी और गन्ना किसानों को समय पर भुगतान मिलेगा।”