नई दिल्ली : देश भर में कोरोनो वायरस का कहर जारी है और इसके रोकथाम क लिए सारे उपाय किये जा रहे है। कोरोना वायरस संक्रमण से बचने के लिए मास्क, हैण्ड ग्लोव्ज का इस्तेमाल भी बढ़ गया है। इस बीच, इन सभी चीजों के उपयोग से उत्पन्न कचरे की समस्या भी बड़ी है। थ्रो मास्क, हैण्ड ग्लोव्ज भविष्य में और समस्या पैदा कर सकते हैं। लेकिन इस समस्या से निजाद कैसे पाया जाए इसपर भी काम हो रहा है।
दिल्ली की एक कंपनी Effibar ने एक ‘बायोमास्क’ विकसित किया है, जो गन्ने के वेस्ट से बना हुआ है। इस मास्क को 30 बार इस्तेमाल किया जा सकता है और फिर इसे जमीन पर रखने पर भी यह विघटित होकर मिट्टी में मिल जाता है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, Effibar ग्रुप के संस्थापक राजेश भारद्वाज ने कहा कि, यह मास्क एक बायोडिग्रेडेबल मास्क है। इसमें एंटी बैक्टीरिया प्रॉपर्टी भी है. क्योंकि यह पीएलए कम्पाउंड और पॉलिएटिक एसिड से बना है. इसलिए यह बायोडिग्रेडेबल और एंटी बैक्टीरियल मास्क है. उन्होंने कहा, इस मास्क को आप 30 बार धो सकते हैं और इस्तेमाल कर सकते हैं।
इस मास्क के कई फायदे बताये जा रहे है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस बायोमास्क का लाभ यह है कि, अब हर दिन मास्क को बदलना आवश्यक नहीं है। बायोमस्क प्रकृति में उपलब्ध वस्तुओं से बने होते हैं, और जब मास्क की उपयोग अवधि खत्म हो जाती है तो इसे फेंक दिया जाता है, जिससे यह अपने आप जमीन में डिकंपोज हो जाएगा।
गन्ने के वेस्ट से बना फेस मास्क यह न्यूज़ सुनने के लिए प्ले बटन को दबाये.