नई दिल्ली : चीनी मंडी
इथेनॉल खरीद मूल्य में लगभग 25 प्रतिशत तक इजाफा करने के सरकार के फैसले से इस साल गन्ने के रिकॉर्ड आउटपुट के साथ चीनी मिलों को बहुत राहत मिल सकती है। चीनी के गिरते दाम के चलते अब मिलें सीधे गन्ने के रस से इथेनॉल बना सकती है और उस इथेनॉल को अब प्रति लिटर ५२.५० रूपये खरीद भाव मिलेगा, जिससे मिलों को आर्थिक संकट से उभरने के लिए और किसानों का बकाया भुगतान करने में मदद मिलेगी ।
भारत से चालू वित्त वर्ष में 35.5 मिलियन टन चीनी उत्पादन होने की उम्मीद है। पिछले साल चीनी की खुदरा कीमतों में करीब 18 फीसदी की गिरावट आई है। ब्लूमबर्ग ने जून में सरकारी आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि, भारत और थाईलैंड से चीनी के उच्च उत्पादन से वैश्विक वायदा बाजार में चीनी की कीमतों में 20 फीसदी की गिरावट आई है।
रेटिंग एजेंसी इक्रा (आईसीआरए) के विश्लेषक सब्यासाची मुखर्जी ने कहा कि, चीनी मिलों को अब केवल चीनी ही नही उसके बदले में इथेनॉल उत्पादन का विकल्प मिल गया है। इथेनॉल का खरीद भाव भी अब बढ़ा दिया गया है, इसके चलते चीनी मिलर्स के लिए इथेनॉल उत्पादन का विकल्प अधिक व्यवहार्य बना देगा। श्री रेणुका शुगर्स लिमिटेड के चेयरमैन अतुल चतुर्वेदी ने सहमति जताते हुए कहा की, इस साल चीनी उत्पादन में छह से ढाई लाख टन की गिरावट की उम्मीद है, चीनी उत्पादन घटने से चीनी की खुदरा कीमतों में सुधार आने की काफी गुंजाईश बनती है।
आम तौर पर, दो किलोग्राम गन्ने से एक लीटर इथेनॉल उत्पादित होता है। वर्तमान में इथेनॉल की कीमत प्रति लीटर 23.5-24 रुपये है, और जो कि चीनी उत्पादन से प्राप्त होनेवाले राजस्व से 25 प्रतिशत कम है। अब तक गन्ने से गुड़-चीनी उत्पादन के बाद छोडे गये अवशेष का उपयोग इथेनॉल का उत्पादन करने के लिए किया जाता था। सरकार ने अब गन्ने के रस से इथेनॉल उत्पादन की अनुमति दी है ।
डिस्टिलरीज कंपनी त्रिवेणी इंजीनियरिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक तरुण सवनी ने कहा, हालांकि, चीनी मिलों को इथेनॉल का उत्पादन करने की क्षमता बढ़ाने के लिए कम से कम एक वर्ष लग सकता है, क्योंकि क्षमता बढ़ाने के लिए चीनी मिलों को निवेश करना होगा। सरकार के 10 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण के लक्ष्य को पूरा करने के लिए उद्योग पहले से ही तैयार है ।