नई दिल्ली : चीनी मंडी
केंद्र सरकारद्वारा गन्ना किसानों के करोड़ो रूपयों के बकाया बोझ में दबे हुए चीनी उद्योग को राहत देने की हर मुमकिन कोशिश की जा रही है । इसके तहत पिछले हफ्ते इथेनॉल की कीमत में वृद्धि हुई थी, अब चीनी मिलों के लिए प्रोत्साहन की एक और खुराक सरकार के विचाराधीन हैं। संभावित पैकेज में चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) 34 रुपये और सहकारी क्षेत्र चीनी मिलों के लिए ऋण पुनर्गठन या इसी तरह के प्रोत्साहन शामिल हैं।
चीनी मिलों द्वारा प्रति किलो 37 रुपये एमएसपी की मांग
गन्ना किसानों का करोड़ो रुपयों का बकाया चुकाने के लिए चीनी मिले 37 रुपये एमएसपी की मांग कर रहे हैं। देश का सबसे बड़ी चीनी उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश सरकार ने 34 रुपये की कीमत की सिफारिश की थी। ये उपाय थोक और खुदरा बाजार में चीनी के मूल्य में वृद्धि को बढ़ावा देंगे। सरकार ने जून के शुरू में चीनी मिलों के लिए एक साल के लिए तीन मिलियन टन बफर स्टॉक के निर्माण के साथ चीनी मिलों के लिए एक पैकेज की घोषणा की थी, जिसमें एमएसपी 29 रुपये प्रति किलोग्राम की थी ।
पिछले हप्ते चीनी कंपनियों के शेयर कीमतों में उछाल
केंद्र सरकार ने पिछले हफ्ते चीनी उद्योग को दिए गये राहत पैकेज के बाद चीनी कंपनियों के शेयर कीमतों में उछाल देखा गया । केवल एक हफ्ते में, चीनी मिलों के शेयरों में सेंसेक्स में 0.35 फीसदी की गिरावट की तुलना में 27.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई । शीर्ष 10 चीनी कंपनियों की शेयरों की कीमतें सप्ताह में लगभग 40 प्रतिशत बढ़ी हैं। एमएसपी में वृद्धि से चीनी की कीमत में अनिवार्य रूप से सीधी वृद्धि होकर चीनी कीमत उत्पादन की लागत के करीब आएगी और चीनी मिलों को चीनी बिक्री में घाटा नही उठाना पड़ेगा ।
अधिशेष चीनी के निर्यात को मिलेगा बढ़ावा…
एमएसपी में बढ़ोतरी से अप्रत्यक्ष रूप से अधिशेष चीनी के निर्यात को बढ़ावा मिल सकता है। अधिकारियों ने कहा कि प्रस्तावों के बारे में एक औपचारिक निर्णय जल्द हो सकता है। अगर इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी जाती है, तो चीनी का नया एमएसपी 33-34 रुपये प्रति किलोग्राम होगा, और मौजूदा बाजार मूल्य इस स्तर के करीब है।यदि एमएसपी में वृद्धि के परिणामस्वरूप चीनी की खुदरा कीमतें बढ़ती हैं, तो भी वे एक साल पहले प्रचलित कीमतों से कम होंगे।
चीनी उद्योग के बड़े खिलाड़ी केंद्र सरकार तुरंत कम से कम सात रुपये प्रति किलो तक चीनी के एमएसपी को बढ़ाने की मांग कर रहे हैं और अधिशेष कम करने के लिए सात लाख मेट्रिक टन चीनी निर्यात कोटा अनिवार्य करे, क्योंकि अगले महीने नए गन्ना सीजन की शुरूआत से पहले चीनी अधिशेष 10 लाख मेट्रिक टन तक पहुंच सकता है ।
या तो सरकार, नही तो उपभोक्ताओं द्वारा उठाया जाएगा कीमत का बोझ
एमएसपी में वृद्धि चीनी मिलों की वित्तीय आवश्यकता का ख्याल रखेगी और उन्हें सरकार से अतिरिक्त सब्सिडी की आवश्यकता नहीं होगी। चीनी निर्यात अभी भी अनिवार्य है और चीनी उद्योग ने अधिशेष को कम करने में मदद के लिए सरकार से मदद की अपील की हैं। अगर सरकार द्वारा सबसिडी मुहैया की जाती है, तो उसका बोझ सरकार को उठाना पड़ सकता है। यदि एमएसपी बढाई जाती है, तो मिलों को आवश्यक समर्थन मिलेगा और उपभोक्ताओं द्वारा बोझ उठाया जाएगा।
इस बारे में चर्चा करते हुए एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा की, चीनी की कीमत बढ़ाने के बाद या तो सरकार सीधे सब्सिडी के माध्यम से भुगतान करती है, या उपभोक्ता उच्च खुदरा मूल्य के जरिए भुगतान करता है, जो अभी भी पिछले साल की तुलना में कम होगा।”