मदुरई: जिले में गन्ने की खेती में इस वर्ष गिरावट नजर आ रही है। COVID-19 महामारी के कारण वित्तीय संकट से घिरी चीनी मिलों से बकाया के निपटान में देरी ने किसानों को गन्ने की खेती करने के लिए हतोत्साहित किया है। द हिन्दू में प्रकाशित खबर के मुताबिक, तमिलनाडु गन्ना किसान संघ के अध्यक्ष एन. पलानीचामी का कहना है कि, अलंगनल्लूर स्थित नेशनल को-ऑपरेटिव शुगर मिल ने फरवरी से गन्ना किसानों को लगभग 1 करोड़ का उचित पारिश्रमिक मूल्य (FRP) नहीं दिया है। इसके अलावा, मिल ने दो साल की अवधि के लिए गन्ने पर कुल 19 करोड़ रुपयों के राज्य सलाहकार मूल्य का भुगतान भी नहीं किया है।
थिरुमंगलम ब्लॉक के थिरुमल गांव के एक किसान ने कहा की कई किसानों ने गन्ना काटने के लिए मजदूरों को भुगतान करने के लिए बड़े पैमाने पर उधार लिया था। लेकिन भुगतान राशि नहीं मिलने से इसका भी भुगतान नहीं हो पाया है। जिससे किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है, इसलिए, किसानों ने गन्ने की खेती कम कर दी है। कई किसान अपना कर्ज चुकाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। कई किसानों ने कपास, केला और मूंगफली जैसी अन्य फसलों की खेती करने का विकल्प चुना है।
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