नई दिल्ली : ISO के वरिष्ठ सलाहकार लिंडसे जॉली ने मंगलवार को दिल्ली में 64वीं आईएसओ परिषद की बैठक में ‘ग्रीन हाइड्रोजन: संभावनाएं और चुनौतियां’ पर चर्चा में अपनी विशेषज्ञता और दूरदर्शी दृष्टिकोण को सबसे आगे रखा। उन्होंने ऊर्जा के स्रोत के रूप में हाइड्रोजन की क्षमता और इस क्षेत्र में चीनी क्षेत्र की भूमिका पर अपना दृष्टिकोण साझा किया। वे ऑटोमोबाइल क्षेत्र के साथ-साथ बिजली क्षेत्र के लिए ईंधन के प्रमुख स्रोत के रूप में ग्रीन हाइड्रोजन के विकास को लेकर आशावादी है।
जॉली ने हाइड्रोजन को ऊर्जा उद्योग के स्विस आर्मी नाइफ और 2050 तक नेट जीरो CO2 हासिल करने में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उजागर किया। सालाना 1 मिलियन टन ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करने की क्षमता के चलते ISO के वरिष्ठ सलाहकार ने भारत के चीनी उद्योग की सराहना की।उन्होंने स्वच्छ हाइड्रोजन की मांग के लिए चुनौतियों को भी रेखांकित किया। साथ ही लागत, भंडारण, परिवहन, वितरण, बुनियादी ढाँचा और नियामक ढाँचे, और उन्हें दूर करने के तरीके भी सुझाए। भारत 25 से 27 जून तक नई दिल्ली में ‘आईएसओ परिषद बैठक’ की मेजबानी कर रहा है। इसमें 30 से अधिक देशों के प्रतिनिधि और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधि चीनी और जैव ईंधन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने के लिए भाग ले रहे हैं।