कर्नाटक के किसानों को चीनी मिलों द्वारा लगभग ₹700-800 करोड़ का भुगतान किया जाना बाकी: शिवानंद पाटिल

बेलगावी : चीनी और कपड़ा मंत्री शिवानंद पाटिल ने कहा, कर्नाटक में चीनी मिलों द्वारा किसानों को कुल गन्ना बकाया लगभग ₹700-800 करोड़ है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि, मिलों ने गन्ना आपूर्ति करने वाले किसानों को लगभग ₹18,000 करोड़ का भुगतान किया है, जो कुल बिल का लगभग 95% है। उन्होंने कहा कि, राज्य सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि शेष बकाया राशि का भुगतान जल्द से जल्द किया जाए।

उन्होंने कहा, गन्ना भारत में एक महत्वपूर्ण कृषि उत्पाद है, जिससे चीनी और एथेनॉल का उत्पादन किया जाता है। हालांकि, हमें नई तकनीक अपनाकर उत्पादकता बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा, पारंपरिक खेती को आधुनिक विज्ञान से जोड़ने की जरूरत है और इसलिए प्रशिक्षित स्नातकों और स्नातकोत्तरों की जरूरत है। इसलिए हमने एस. निजलिंगप्पा शुगर इंस्टीट्यूट में गन्ना और अल्कोहल प्रौद्योगिकी में एमएससी पाठ्यक्रम शुरू किए हैं। बाद में उन्होंने बेलगावी में एस. निजलिंगप्पा शुगर इंस्टीट्यूट में एक सेमिनार का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि, राज्य सरकार एथेनॉल के अधिक उत्पादन और उपयोग पर ध्यान केंद्रित करके हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने की योजना बना रही है। यह एक पर्यावरण अनुकूल ईंधन है जो वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड प्रदूषण को कम करता है।

उन्होंने कहा, यहां तक कि केंद्र सरकार भी हरित ऊर्जा के मिश्रण को बढ़ाने का लक्ष्य बना रही है। कर्नाटक में एथेनॉल का उत्पादन लगातार बढ़ रहा है। उन्होंने कहा, अन्य फसलों और वस्तुओं के मूल्य में निरंतर उतार-चढ़ाव की तरह गन्ने का मूल्य भी स्थिर नहीं है। यहां तक कि सोने का मूल्य भी स्थिर नहीं है। किसानों को बकाया भुगतान में देरी हो सकती है।उन्होंने कहा कि सभी हितधारकों, किसानों, कारखाना श्रमिकों और प्रबंधन को कृषि पर मौसम की स्थिति के प्रभाव सहित ऐसी सभी समस्याओं का सामना करके अपनी आजीविका को बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि, चीनी उद्योग और सहकारी संस्थाओं को किसानों की आर्थिक आत्मनिर्भरता और ग्रामीण समृद्धि के लिए मिलकर काम करना चाहिए। इस तरह के विकास से राज्य की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी को अपनाने से चीनी उद्योग में पर्यावरण संरक्षण और किसानों की आय में वृद्धि संभव होगी। इससे देश के आर्थिक विकास में भी मदद मिलेगी। संगोष्ठी का आयोजन दक्षिण भारतीय गन्ना एवं चीनी प्रौद्योगिकीविद् संघ के सहयोग से किया गया।

इस अवसर पर गन्ना विकास आयुक्त एवं चीनी संस्थान के निदेशक आर. रविकुमार, ट्रूअल्ट बायोएनर्जी और एमआरएन समूह के निदेशक वाई.बी. रामकृष्ण, दक्षिण भारतीय गन्ना एवं चीनी प्रौद्योगिकीविद् संघ के अध्यक्ष चिन्नप्पन, बीलगी शुगर फैक्ट्री के अध्यक्ष एस.आर. पाटिल, राष्ट्रीय शर्करा संस्थान की निदेशक सीमा परोहा, दक्षिण भारतीय गन्ना एवं विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

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