पानीपत: पिछले कुछ दिनों से यमुना बेल्ट में भारी बारिश और बाढ़ के कारण फसलें जलमग्न हो गई है, जिससे पानीपत और सोनीपत जिलों में किसानों को भारी नुकसान हुआ है। द ट्रिब्यून में प्रकाशित खबर के मुताबिक, पानीपत में लगभग 20,000 एकड़ भूमि, जिस पर धान, गन्ना, चारे की फसल, बैंगन, स्वीट कॉर्न और टमाटर जैसी सब्जियां और अन्य फसलें जलमग्न हो गईं और सोनीपत में 13,000 एकड़ से अधिक भूमि जलमग्न हो गई।
हालांकि, लगातार बारिश और हथिनी कुंड बैराज से यमुना में पानी छोड़े जाने के कारण यमुना अभी भी खतरे के निशान यानी 231.5 मीटर से ऊपर बह रही है। सोनीपत जिले में बख्तावरपुर, मछरोला, बडोली, टोकी और खुर्रमपुर गांवों में बांध टूट गया। सांसद रमेश कौशिक ने डीसी ललित सिवाच के साथ नाव पर सवार होकर स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने जिला मुख्यालय से कटे जाजल टोकी गांव के ग्रामीणों से मुलाकात की। पानीपत जिले में लगभग 45 किमी क्षेत्र और सोनीपत जिले में 41.74 किमी क्षेत्र यमुना तट पर है।
पानीपत जिले में बांध के पास लगभग 20,000 एकड़ में गन्ना, धान, कद्दू, लौकी, करेला, स्वीट कॉर्न, टमाटर और अन्य सब्जियों की खड़ी फसलें जलमग्न हो गई है। कृषि विभाग के उपनिदेशक वजीर सिंह ने कहा कि, यमुना से सटे गांवों में बाढ़ के कारण लगभग 18,000-20,000 एकड़ भूमि जलमग्न हो गई है।उन्होंने कहा, यह सब्जी उत्पादकों का क्षेत्र है और बाढ़ से फसलों को नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि, वास्तविक नुकसान का आकलन खेतों से पानी निकलने के बाद ही हो सकेगा।
कृषि विभाग के विषय विशेषज्ञ देवेंद्र कुहाड़ ने कहा कि सोनीपत में, नदी का पानी यमुना से सटे सभी 30 गांवों में घुस गया और गन्ना, धान और सब्जियों सहित फसलें जलमग्न हो गईं। बेल्ट में सब्जी की फसल को 100 फीसदी नुकसान हो सकता है।सोनीपत के जिला राजस्व अधिकारी (डीआरओ) हरिओम अत्री ने कहा कि, पानी का स्तर कम होने के बाद वास्तविक नुकसान का पता चलेगा।