अतिरिक्त गन्ना दर: कोऑपरेटिव चीनी मिलों को आयकर से मिलेगी मुक्ति

कोल्हापुर: गन्ने के लिए ‘एसएमपी’ (पुरानी) और अब ‘एफआरपी’ के तहत चीनी मिलों द्वारा भुगतान की गई अतिरिक्त राशि पर आयकर लगाया गया था। केंद्र सरकार ने इससे राहत देने की प्रक्रिया तय कर दी है। इसका फायदा उठाने के लिए राज्य सरकार ने गुरुवार को एक आदेश जारी किया। केंद्र सरकार द्वारा इस संबंध में किए गए बदलाव के बाद चीनी मिलों पर इनकम टैक्स की लटकती तलवार हमेशा के लिए हट जाएगी। इसके लिए मिलों को जिस साल अतिरिक्त राशि दी गई उसका प्रस्ताव चीनी आयुक्त को सौंपना होगा।चीनी आयुक्त ऑफिस द्वारा प्रस्ताव की छानबीन होगी, और उसके बाद चीनी मिलों को राहत मिलेगी।

पहले गन्ने के लिए एसएमपी (वैधानिक न्यूनतम मूल्य) का भुगतान किया जाता था। अब एफआरपी (उचित एवं लाभकारी मूल्य) दिया जाता है। पहले मिलें किसानों को गन्ने की खरीद पर एसएमपी और एफआरपी से अधिक भुगतान करती थीं। इस पर आयकर विभाग ने आपत्ति जताई थी। सरकार द्वारा निर्धारित एसएमपी और एफआरपी से अधिक भुगतान की गई गन्ने की कीमत को लाभ माना गया और उस पर आयकर लगाया गया था। इस पर सभी मिलों ने आपत्ति जताई थी। इसके बाद केंद्र सरकार ने आयकर कानून में संशोधन किया। 27 जुलाई 2023 को एक प्रक्रिया की घोषणा की गई।

केंद्र सरकार की तरह राज्य सरकार के लिए भी इसके अनुरूप नीति की घोषणा करना जरूरी था।तदनुसार, राज्य की चीनी मिलें, जिन्होंने किसानों को एसएमपी, एफआरपी से अधिक दिया है, उन्हें उस वर्ष के लिए प्रस्ताव तैयार करके संबंधित क्षेत्रीय संयुक्त निदेशकों के माध्यम से चीनी आयुक्त को भेजना होगा। वह चाहते हैं कि चीनी आयुक्त यह सुनिश्चित करें कि अतिरिक्त गन्ना शुल्क की पूरी राशि गन्ना उत्पादकों को मिले और इसे संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार मंजूरी दी जाए।

गन्ने की यह कीमत सरकार द्वारा तय की गई कीमत (Government fixed) मानी जाएगी, और चीनी मिलों को आयकर जांच से छूट दी जाएगी। वर्तमान में कई मामले विभिन्न स्तरों पर लंबित है।चीनी आयुक्त के इस आदेश को ध्यान में रखते हुए संबंधित मिलों को अपने मामले वहीं प्रस्तुत करने होंगे जहां वे लंबित हैं। इसके बाद ही इस संबंध में आदेश मिलने की राह आसान होगी।

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