नई दिल्ली/ गुरुग्राम, 08 मई 2020: राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण देश में एक और जहां चीनी उद्योग में कारोबारी गतिविधियां प्रभावित हुई है वहीं चीनी की खपत कम होने से बाजार में मार्केट रेट भी गिरा है। लॉकडाउन के कारण एक और जहां चीनी के निर्यात पर असर पडा है वहीं रेस्टोरेन्ट, होटल और अन्य प्रतिठानों के बंद होने से चीनी की घरेलू खपत भी कम हुई है।
कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लगायी गई लॉकडाउन के चलते चीनी के बिक्री पर असर पड़ा है। चीनी के दाम गिरने और बाजार की स्थिति के मसले पर मीडिया से बात करते हुए राष्ट्रीय कृषि विपणन संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ जगवीर सिंह ने कहा कि देश में पिछले सत्र का भी चीनी का स्टॉक ज्यादा रहा। अभी भी चीनी का रेट गिरा हुआ है। सरकार अगर चीनी मिलों को राहत देना चाहती है तो चीनी के रेट एक-दो रुपये तक बढ़ाना चाहिए। इससे चीनी मिलों को कुछ राहत मिलेगी और मिलें गन्ना किसानों को उनका बकाया भी समय पर चुका पाएँगी। डॉ सिंह ने कहा कि अगर सरकार चीनी के रेट 1/2 रुपये प्रति किलो बढ़ाती है तो इससे उपभोक्ताओं पर कुछ खास असर नहीं पडेगा लेकिन चीनी उद्योग को राहत ज़रूर मिल जाएगी। सरकार को चाहिए की चीनी का एमएसपी 3100 से बढ़ाकर 3300 रुपये प्रति क्विंटल करे। ये इंडस्ट्री और गन्ना किसान दोनों के हित में है।
डॉ सिंह ने कहा कि अगर कोरोना का संक्रमण नहीं रुका तो इसके चलते घरेलू बाजार में चीनी की खपत का असर आगे भी देखने को मिल सकता है। लॉकडाउन के चलते पहले ही रेस्टोरेन्ट और होटलों में आइसक्रीम और कन्फैक्सनरी की मांग में काफी कमी हुई है, जिसके कारण चीनी की घरेलू खपत कम हुई है। ज़्यादातर देशों में लॉकडाउन हुआ है इस कारण वैश्विक बाजार में भी चीनी की मांग में काफी कमी हुई है जिसके चलते निर्यात प्रभावित हुआ और गन्ना किसानों के बकाया का भुगतान रुकने की खबरें सामने आयी।
यह न्यूज़ सुनने के लिए प्ले बटन को दबाये.