“चीनी एवं सम्बद्ध उद्योगों के सप्लाई चेन प्रबंधन” के संबंध मे राष्ट्रीय शर्करा संस्थान मे दो दिवसीय ऑनलाइन प्रशिक्षण सत्र का समापन हुआ। कार्यक्रम के दूसरे दिन विशेषज्ञों द्वारा स्वच्छ प्रसंस्करण, उपभोक्ता एवं पर्यावरण अनुकूल पैकेजिंग तथा चीनी के भंडारण के दौरान ओटोमेशन के विषय पर विशेष प्रकाश डाला गया। इस दौरान राष्ट्रीय शर्करा संस्थान, कानपुर के निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन के द्वारा चीनी कारखानों को आह्वान किया गया कि वे उपभोक्ताओं के लिए एक किलोग्राम के उपभोक्ता पैक से लेकर निर्यात के उद्देश्य से एक टन तक के जम्बो पैक मे चीनी की पैकेजिंग पर ध्यान दें। उन्होने यह भी कहा कि आज के समय “स्वच्छ उत्पादन प्रक्रिया (Good Manufacturing Practices-GMP)” और “ जोखिम विश्लेषण एवं विशेष नियंत्रण केंद्र (Hazard Analysis & Critical Control Points-HACCP)” को अपनाने की जरूरत है क्योंकि चीनी आवश्यक उपभोग की वस्तु है और कोविड-19 को देखते हुये उपभोक्ता भी खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता के प्रति जागरूक हैं।
भारतीय पैकेजिंग संस्थान, नई दिल्ली के संयुक्त निदेशक सह क्षेत्रीय प्रबन्धक श्री माधव चक्रवर्ती ने चीनी के पैकेजिंग के विविध प्रणालियों पर व्यापक प्रकाश डाला, जो चीनी की गुणवत्ता एवं मात्रा पर आधारित है। उन्होने कहा कि चीनी एक ऐसा पदार्थ है जो वातावरण से नमी सोखकर समय बीतने के साथ-साथ खराब होने लगता है। आज के समय में स्पेशल शुगर्स का बाजार बढ़ता जा रहा है जैसे ब्राउन शुगर, आइसिंग शुगर एवं अन्य फोर्टिफाइड शुगर जिनमे अन्य प्रकार के पदार्थों का समावेश होता है। अतः इनका पैकेजिंग भी विशेष सावधानी से किया जाना आवश्यक है, जिससे उनकी शेल्फ आयु (shelf life) तथा परिवहन सुगमतापूर्वक हो सके।
राष्ट्रीय शर्करा संस्थान, कानपुर के तकनीकी अधिकारी श्री ब्रजेश सिंह ने कार्यक्रम के दौरान चीनी प्रसंस्करण के दौरान चीनी को ओटोमेटिक तौलने और डिस्पैच नियंत्रण प्रणाली को प्रदर्शित किया। उन्होने बताया कि RFID (रेडियो फ़्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन) के माध्यम से गोदाम मे चीनी के आवागमन, उपलब्ध स्थान, उपकरण, श्रमिक एवं अन्य सभी चीजों का कुशल प्रबंधन हो सकता है। इस व्यवस्था मे ऑटोमेटिक पैकेजिंग के साथ-साथ चीनी की बोरी का RFID टैग भी किया जाता है जिसमे आवश्यक सभी आंकड़े यथा नमी, तापमान के साथ-साथ पैकेजिंग की तिथि, समय तथा वजन आदि दर्ज हो जाते हैं। उन्होने यह भी बताया कि इस व्यवस्था से गोदाम के बेहतर नियंत्रण के साथ-साथ उपभोक्ताओं मे उत्पाद के प्रति विश्वास भी उत्पन्न होता है।
डी सी एम श्रीराम लिमिटेड के कार्यकारी निदेशक सह मुख्य परिचालन अधिकारी (शर्करा) श्री आर एल तमक ने बताया कि वर्तमान मे लघु गन्ना उत्पादक गावों को चीनी मिलों द्वारा अपनाकर किसानों को प्रशिक्षित करने के साथ-साथ खेत मे प्रयोग किए जाने वाले कृषि एवं परिवहन से जुड़ी नए मशीनों के संबंध मे बताने की आवश्यकता है। उन्होने यह भी कहा कि इसके लिए मोबाइल एप के माध्यम से गन्ना की आपूर्ति का प्रबंधन किया जा सकता है।
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