नई दिल्ली : भारत के पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री सुरेश गोपी ने राज्यसभा में एक अतारांकित प्रश्न के उत्तर में ओडिशा में एथेनॉल परियोजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी। इस प्रश्न का उत्तर देते हुए कि क्या सरकार ने ओडिशा राज्य को जैव ईंधन उत्पादन के लिए संभावित केंद्र के रूप में पहचाना है, और यदि हाँ, तो राज्य में प्रस्तावित या कार्यान्वयन के अधीन परियोजनाओं का विवरण देते हुए उन्होंने कहा, जैव ईंधन उत्पादन संयंत्र उद्यमियों/कंपनियों/सहकारी समितियों आदि द्वारा उन स्थानों पर स्थापित किए जाते हैं, जो उनके द्वारा उनकी निवेश योजनाओं और परियोजना की तकनीकी-आर्थिक व्यवहार्यता के आधार पर तय किए जाते हैं।
खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) की एथेनॉल ब्याज अनुदान योजना के तहत ओडिशा में 29 परियोजनाओं को सहायता स्वीकृत की गई है। वर्तमान में, ओडिशा में 20 करोड़ लीटर की वार्षिक क्षमता वाली 5 एथेनॉल डिस्टिलरी चालू हैं। भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) ने ओडिशा के बरगढ़ में 200 किलो लीटर प्रतिदिन (केएलपीडी) क्षमता वाला एकीकृत एथेनॉल प्लांट स्थापित करने का काम शुरू किया है, जिसमें प्रथम पीढ़ी (1जी) और द्वितीय पीढ़ी (2जी) प्रौद्योगिकी के 100-100 केएलपीडी शामिल हैं। उन्होंने कहा, भारत की ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाने के उद्देश्य से एथेनॉल स्पष्ट रूप से एक गेम-चेंजर है। भारत ने अतीत में अपने सम्मिश्रण लक्ष्यों को सफलतापूर्वक पूरा किया है और जल्द ही 20% सम्मिश्रण प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।