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प्रयागराज, 23 फरवरी (UNI) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मेसर्स त्रिवेणी इंजीनियरिंग एण्ड सुगर इण्डस्ट्रीज सहारनपुर के मालिकों और अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी न्यायालय आदेश के सहारे बिना अनुमति लेवी चीनी खुले बाजार में बेचने के मामले में कड़ा रूख अपनाया है।
मिल मालिकों ने करोड़ों रूपये की लेवी चीनी बाजार में बेच डाली जिसकी सीबीसीआईडी से जांच चल रही है। न्यायालय ने प्रदेश के मुख्य सचिव से कार्रवाई ब्यौरे के साथ व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है और कहा है कि यदि 27 फरवरी तक हलफनामा दाखिल नहीं हुआ तो अदालत समझेगी कि सरकार दोषी लोगों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं करना चाहती है।
मुख्य न्यायाधीश डी.बी.भोसले तथा न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की खण्डपीठ ने रामपाल सिंह किसान की याचिका पर शुक्रवार को यह आदेश दिया । याचिका पर अधिवक्ता बी.एन.सिंह ने बहस की। याची का कहना है कि न्यायालय ने मिल को लेवी चीनी बेचने की छूट नहीं दी थी लेकिन एक फर्जी उच्च न्यायालय के आदेश के सहारे 50 लाख बोरे लेवी चीनी बिना सरकारी अनुमति लिए खुले बाजार में बेच दी गयी। सीबीसीआईडी की अंतरिम रिपोर्ट न्यायालय ने स्वीकार कर ली है लेकिन आरोपियों के खिलाफ अभी तक प्राथमिकी दर्ज नहीं की गयी है।
वर्ष 2004 से चल रही जांच के बावजूद घोटाले के आरोपी पकड़ से बाहर है। न्यायालय ने कहा कि इससे पहले मुख्य सचिव से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा गया था इसके खिलाफ एसएलपी भी खारिज हो गयी। न्यायालय ने अगस्त 17 तक हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया था फिर भी दाखिल नहीं हुआ। न्यायायालय ने मुख्य सचिव को हलफनामा दाखिल करने का अंतिम अवसर दिया है।
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