विजयनगरम: जिले में दो चीनी मिलें बंद होने के कारण गन्ने की खेती में काफी कमी आने की उम्मीद है। भीमासिंगी सहकारी चीनी मिल और सीतानगरम की एक निजी इकाई एनसीएस शुगर्स ने लगातार घाटे और पर्याप्त गन्ने की अनुपलब्धता के कारण अपना परिचालन बंद कर दिया है। वर्तमान में, जिले में गन्ना किसान राजम-पलकोंडा रोड पर स्थित एक निजी चीनी मिल पर निर्भर हैं, लेकिन भारी परिवहन शुल्क के बोझ से दबे हुए हैं क्योंकि मिल लंबी दूरी पर स्थित है।
द हिन्दू में प्रकाशित खबर के मुताबिक, जिले में गन्ना क्षेत्र में साल दर साल गिरावट हो रही है। जानकारों के मुताबिक, गन्ने की फसल का क्षेत्र जो पहले लगभग 20,000 हेक्टेयर था, 2022 में घटकर 4,505 हेक्टेयर हो गया और 2023 खरीफ में और गिरकर 3,500 हेक्टेयर हो सकता है।
कुछ सालों पहले कई किसानों ने गन्ना उगाना शुरू कर दिया था, क्योंकि गन्ने से धान के माध्यम से अर्जित 12,000-15,000 रुपये प्रति एकड़ की तुलना में प्रति एकड़ लगभग 30,000 रुपये मिलते थे। हालांकि, गन्ने की कटाई और परिवहन की बढ़ती लागत और प्रसंस्करण इकाइयों के बंद होने के कारण गन्ने की मांग घटने से चीजें पूरी तरह से बदल गई हैं। किसानों ने फिर एक बार गन्ने से धान की तरफ रुख किया है, क्योंकि भीमासिंगी चीनी मिल के बंद होने से उपज का कोई खरीदार नहीं मिल रहा है।
जिला संयुक्त कृषि निदेशक वी.टी. रामाराव का कहना है कि, सरकार मिल प्रबंधन के साथ बातचीत कर गन्ना उत्पादकों को बेहतर कीमत दिलाने के लिए कदम उठा रही है। रामाराव ने द हिंदू को बताया की, यदि किसान फसल क्षेत्र में वृद्धि करने के इच्छुक हैं, तो विभाग इस वर्ष भी गन्ने की सर्वोत्तम कीमत सुनिश्चित करने की कोशिश करेगा।
लोक सत्ता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बेसेटी बाबजी, जिन्होंने भीमसिंगी चीनी मिल को फिर से खोलने के लिए बैठकों की एक श्रृंखला आयोजित की थी। वह चाहते हैं कि सरकार को मिल के पुनरुद्धार के लिए कदम उठाना चाहिए। चीनी मिल शुरू होने से किसानों को अधिक आय अर्जित करने में मदद मिलेगी। धान और अन्य फसलों की तुलना में गन्ना अधिक रिटर्न देता है। साथ ही मिल के पुनरुद्धार से भी कई श्रमिकों को अपनी नौकरी वापस पाने में मदद मिलेगी।