नई दिल्ली: सरकार ने चीनी निर्यात पर सब्सिडी देकर चीनी उद्योग को बड़ी राहत दी है। देश में चीनी मिलें आर्थिक परेशानी से जूझ रही है, और सरकार का यह महत्वपूर्ण कदम मिलों के लिए बहुत मददगार साबित होगा।
देश चीनी अधिशेष से जूझ रहा है और इसलिए सरकार का मकसद चीनी निर्यात को बढ़ावा देना है। सरकार ने 60 लाख टन चीनी निर्यात करने के लिए सब्सिडी देने का फैसला किया है। ऐसी उम्मीद है की सरकार 60 लाख टन चीनी मिलों को उनके उत्पादन प्रतिशत के अनुसार आवंटित करेगी। इसपर 6268 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जाएगी।
केन्द्रीय कैबिनेट के इस फ़ैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए केन्द्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि सरकार हमेशा किसानों के कल्याण और विकास के लिये सोचती रही है। कैबिनेट का ये फ़ैसला भी इसी क्रम मे लिया गया निर्णय है। चीनी निर्यात पर दी जाने वाली सब्सिडी से किसानों और चीनी उद्योग को आर्थिक लाभ होगा, वहीं निर्यात नीति की घोषणा से चीनी व्यापारियों और कारोबारियों को भी लाभ होगा। पासवान ने कहा कि सरकार के इस निर्णय से चीनी की क़ीमतें भी नियंत्रित होगी। खाद्य मंत्री ने कहा कि चीनी निर्यात नीति से चीनी के सरप्लस स्टॉक की निकासी में भी मदद मिलेगी।
आपको बता दे, चीनी निर्यात का पैसा कंपनी के खाते में नहीं बल्कि किसानों के खाते में जाएगा, और बाद में शेष राशि, यदि कोई हो, मिल के खाते में जमा की जाएगी। हालही में सरकार ने चीनी अधिशेष को कम करने के मकसद से चीनी के बफर स्टॉक के निर्माण को मंजूरी थी। सरकार के इस कदम से चीनी मिलों को गन्ना किसानों का बकाया चुकाने में मदद मिल रही है।
चीनी उद्योग सहित किसान भी सरकार के इस फैसले से खुस है। ऐसी उम्मीद की जा रही है की चीनी मिलों पर गन्ना किसानो का बकाया जल्दी ही कम हो जाएगा।
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