नयी दिल्ली, 17 जनवरी (भाषा) सरकार कृषि क्षेत्र के संकट को दूर करने के लिये जल्द ही कई बड़े उपायों की घोषणा कर सकती है। कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने बृहस्पतिवार को इसके संकेत दिये। आगामी लोकसभा चुनावों से पहले सरकार की तरफ से ऐसी घोषणा काफी अहम होगी।
सूत्रों के अनुसार, कृषि मंत्रालय ने “छोटे और सीमांत किसानों की आय में कमी की समस्या के निराकरण पर एक मंत्रिमंडलीय परिपत्र (कैबिनेट नोट) तैयार किया है। इस परिपत्र में एक वित्तीय पैकेज और समय पर फसल ऋण चुकाने वालों के लिए ब्याज माफी सहित विभिन्न कदमों का प्रस्ताव किया गया है।
सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय, नीतीयोग, कृषि और वित्त मंत्रालयों के अधिकारियों के बीच कई बैठकों के बाद एक मसौदा नोट को अंतिम रूप दिया गया है।
एक कार्यक्रम के मौके पर यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार एक बड़े कृषि पैकेज के साथ तैयार है, सिंह ने कहा: “जब यह घोषणा की जाएगी, तो सभी को पता चल जाएगा। बजट से पहले या उसके दौरान हर साल, हमने किसानों के लिए कुछ नया घोषित किया है। निश्चित रूप से, इस बार भी किसानों के लिए कुछ होगा।”
एक कार्यक्रम के मौके पर उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि राजग सरकार की खासियत यह रही है कि उसने पिछले चार-साढ़े चार साल में किसान समुदाय के लिए हर साल कुछ नया करने की घोषणा की है।
मौके पर उपस्थित कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने इस संबंध में कोई ब्यौरा देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि उनका मंत्रालय सीधे तौर पर मामले में शामिल नहीं है।
इससे पहले छोटे किसानों के कृषि व्यवसाय संकाय (एसएफएसी) के रजत जयंती समारोह में बोलते हुए, सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री व्यक्तिगत रूप से सभी कृषि योजनाओं की निगरानी कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, “नतीजतन, कई योजनाएं किसान समुदाय को लाभान्वित कर रही हैं। हालांकि, कुछ (विपक्षी दल) अभी भी सवाल उठाते हैं … केवल नारे लगाने से किसानों को लाभ नहीं होगा।” उन्होंने कहा, पिछले साढ़े चार साल में कृषि क्षेत्र के लिए बजट का आवंटन बढ़ा है।
सिंह ने कहा कि कृषि क्षेत्र हमेशा इस सरकार के लिए प्राथमिकता रहा है। यह सरकार किसानों के कल्याण के लिए काम करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा, “हम पूरे आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रहे हैं। दिसंबर अंत तक हर खेत को पानी और बिजली मिल जाएगी।”
यह ध्यान देने वाली बात है कि केंद्र सरकार ने हाल ही में हुए राज्य चुनावों में मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा के हारने के बाद से किसानों के मुद्दों को गंभीरता से लेना शुरु कर दिया है। इन राज्यों में ग्रामीण संकट को भाजपा की हार का एक प्रमुख कारक माना जा रहा है।
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