नई दिल्ली: कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) जैविक कृषि उत्पाद के निर्यात को बढ़ाने की रणनीति तैयार करने के लिए राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम कर रहा है। एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि वे जैविक खाद्य पदार्थों के निर्यात के लिए राज्य-केंद्रित योजना तैयार करने का काम कर रहे हैं। इसमें निर्यातकों का किसानों से सीधा संबंध हो जाएगा। साथ ही वे निर्यात किये जाने वाले देशों के विशिष्ट मानदंडों के अनुरुप फसल उगा सकेंगे।
विभिन्न देशों के विशिष्ट मानदंडों के कारण भारत के बासमती चावल के निर्यात पर असर हुआ है। यूरोजोन और अमेरिका, सउदी अरब, ईरान, जॉर्डन और लेबनान जैसे देशों में सख्त मानदंडों के कारण भारतीय बासमती चावल पहुंच नहीं सका है। इसलिए आयातक देशों के मानदंडों को पूरा करने के लिए किसानों को शिक्षित करना और उन्हें उचित दिशानिर्देश देना अत्यंत आवश्यक है। इसके अमल से किसानों और निर्यातकों दोनों को फायदा होगा।
भारत से जैविक कृषि और खाद्य उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए, APEDA प्रमाणन देने वाली मान्यता प्राप्त लैबोरेटरीज की संख्या बढ़ाने पर काम कर रहा है। फिलहाल भारत में जैविक प्रमाणीकरण देने वाली 30 लैबोरेटरीज हैं।
भारत सालाना लगभग 4.5 लाख टन जैविक उत्पादों का निर्यात अमेरिका, कनाडा, स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, इजरायल, दक्षिण कोरिया, वियतनाम, न्यूजीलैंड, जापान और यूरोपीय संघ जैसे देशों को करता है। देश में तिलहन, गन्ना, अनाज, बाजरा, कपास, दालें, औषधीय पौधे, चाय, फल, मसाले, ड्राई फ्रूट्स, सब्जियां और कॉफी जैसे जैविक उत्पाद भी यहां उगाए जाते हैं।
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