कानपूर: राष्ट्रीय शर्करा संस्थान, कानपुर और उत्तर प्रदेश चीनी मिल संघ द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित “विविधता के युग में भारतीय चीनी उद्योग की मॉडलिंग” पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन आज श्री लक्ष्मी नारायण चौधरी, माननीय गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किया गया।
अपने संबोधन में, उन्होंने चीनी उद्योग को अपनी वित्तीय व्यवहार्यता में सुधार के लिए एथेनॉल उत्पादन पर जोर देने वाले चीनी कारखानों के परिसरों में परिवर्तित करने के लिए सरकारी प्रोत्साहन का लाभ उठाने के लिए आगे आने का आह्वान किया। सम्मिश्रण के लिए एथेनॉल की उच्चतम मात्रा में योगदान करने के लिए उत्तर प्रदेश के चीनी उद्योग की प्रशंसा करते हुए उन्होंने चीनी कारखानों को गन्ना किसानों और अन्य हितधारकों के हितों की रक्षा करने की सलाह दी।
श्री पंकज रस्तोगी, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, मेसर्स डालमिया भारत शुगर्स लिमिटेड ने चीनी और एथेनॉल उत्पादन के ब्राज़ील मॉडल के बारे में अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने उत्पादन लागत को कम करने और बड़े पैमाने पर समाज को लाभान्वित करने के लिए खेत से कारखाने तक उत्पादकता में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी के अधिक उपयोग और नवीन तकनीकों के विकास की सलाह दी।
श्री नरेंद्र मोहन, निदेशक, राष्ट्रीय शर्करा संस्थान ने अपने सम्बोधन में प्रतिभागियों को चीनी का उत्पादन करने वाले चीनी कारखानों के पारंपरिक मॉडल को कई उत्पादों वाले एक मॉडल में बदलने के लिए “आउट ऑफ बॉक्स सोच” विकसित करने की सलाह दी। एथेनॉल से लेकर ग्रीन हाइड्रोजन तक, चीनी से लेकर डायटरी फाइबर तक और ईंधन से लेकर इको-फ्रेंडली कटलरी तक, चीनी उद्योग विविधीकरण और आय के लिए अनेको अवसर प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि जहां आर्थिक स्थिरता में सुधार के लिए विविधता लाना आवश्यक है, वहीं कच्चे माल और अन्य बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए एक मजबूत आत्मनिर्भर मॉडल विकसित करना भी महत्वपूर्ण है और इसलिए चीनी और अन्य एकीकृत इकाइयों की क्षमता की सावधानीपूर्वक योजना बनाई जानी चाहिए।
तकनीकी सत्र में श्री अमित नेगी, मैसर्स डालमिया भारत शुगर्स लिमिटेड, श्री प्रमोद मेहदियां, मेसर्स अवध शुगर एंड एनर्जी लिमिटेड और श्री शैलेंद्र त्रिपाठी, मेसर्स सेकसरिया बिसवान शुगर फैक्ट्री लिमिटेड ने एथेनॉल उत्पादन के लिए सिरप और बी हैवी मोलासेस को प्रयोग करते समय चीनी संयंत्र मे आवश्यक परिवर्तनों के मॉडल पर अपने अनुभव साझा किए।
संस्थान के श्री अनूप कुमार कनौजिया, सहायक प्रोफेसर शुगर इंजीनियरिंग ने अपनी प्रस्तुति में एक मॉडल ऑफ़ प्रदर्शित करते हुए कहा कि मौजूदा चीनी संयंत्रों को संशोधित करके रॉ -रिफाइंड चीनी संयंत्रों में परिवर्तित करना समय की आवश्यकता है, जिसमें एथेनॉल उत्पादन के लिए सिरप और बी हेवी शीरा को उपयोग करने की सुविधा है। उन्होंने कहा कि यह एक आत्मनिर्भर मॉडल है जिसमें न्यूनतम निवेश की आवश्यकता होगी और इसके परिणामस्वरूप चीनी का उत्पादन सीमित होगा और एथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। श्री महेंद्र कुमार यादव, तकनीकी अधिकारी ने डिस्टिलरी फर्मेंटेर से कार्बन डाइ-ऑक्साइड गैसों का उपयोग करके रिफाइंड चीनी के उत्पादन और रिफाइंड चीनी के उत्पादन की लागत को कम करने के लिए यांत्रिक वाष्प री-कंप्रेसर का उपयोग करने के लिए एक नवीन तकनीक का विवरण प्रस्तुत किया।
मैसर्स राज प्रोसेस इक्विपमेंट एंड सिस्टम के श्री अनिल पाइस ने शीरा आधारित डिस्टिलरीज से निकलने वाले अपशिष्ट की स्प्रे ड्राइंग एवं इसे मूल्यवान पोटाश समृद्ध उर्वरक में बदलने के लिए प्रौद्योगिकी का विवरण प्रस्तुत किया। श्री संजय अवस्थी, बिजनेस हेड, मैसर्स आईएसजीईसी, नोएडा और श्री सुरा के भोजराज, कंसल्टेंट, पुणे द्वारा एथेनॉल उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करते हुए चीनी कारखानों के विभिन्न मॉडलों पर प्रस्तुति गई।
कार्यक्रम का संचालन सुश्री अनुष्का कनोडिआ ने किया, श्री अशोक गर्ग, सहायक प्रोफेसर चीनी प्रौद्योगिकी ने समापन टिप्पणी दी और श्री दीपक गुप्तारा, महासचिव, यू.पी. चीनी मिल संघ ने धन्यवाद ज्ञापित किया।