दिल्ली के नए मुख्यमंत्री के रूप में अरविंद केजरीवाल की जगह लेंगी आतिशी

नई दिल्ली : आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को पार्टी विधायकों की बैठक में अपने उत्तराधिकारी के रूप में आतिशी के नाम का प्रस्ताव रखा। सूत्रों के अनुसार, इसके बाद उन्हें दिल्ली आप विधायक दल का नेता चुन लिया गया। सूत्रों ने बताया कि, राष्ट्रीय राजधानी में अपने आवास पर विधायक दल की बैठक को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने यह प्रस्ताव रखा और विधायकों ने उनका समर्थन किया। इससे पहले, दिल्ली के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने दिल्ली के मुख्यमंत्री की पत्नी सुनीता केजरीवाल के पदभार संभालने की संभावना को खारिज कर दिया था।

अरविंद केजरीवाल के संभावित उत्तराधिकारी के बारे में पूछे जाने पर भारद्वाज ने कहा, मुझे नहीं पता कि यह मंत्रिपरिषद से कोई होगा या विधायकों में से कोई होगा। लेकिन हम आपको बता देंगे। जहां तक मैं अरविंद केजरीवाल की राजनीति को समझता हूं, मुझे नहीं लगता कि यह सुनीता केजरीवाल होंगी। उनकी इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है।केजरीवाल के आवास पर बैठक के लिए पहुंचने पर आप विधायक गोपाल राय ने एएनआई से कहा, विधायक दल की बैठक बुलाई गई है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने घोषणा की है कि, जब तक जनता उनका समर्थन नहीं करती और उन्हें जीत नहीं दिलाती, तब तक वे सीएम नहीं रहेंगे। तब तक पार्टी सीएम का चुनाव करेगी और उसी सीएम के नेतृत्व में सरकार चलेगी। सीएम केजरीवाल के नेतृत्व में एक बार फिर दिल्ली में सरकार बनेगी।

शनिवार को केजरीवाल ने घोषणा की कि वे इस्तीफा दे देंगे और तब तक सीएम के रूप में काम नहीं करेंगे, जब तक दिल्ली की जनता उन्हें “ईमानदार” घोषित नहीं कर देती।उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी में फरवरी में होने वाले चुनावों से पहले इस साल नवंबर में चुनाव कराने का आह्वान भी किया। केजरीवाल ने कहा कि अगर जनता उन्हें फिर से चुनती है, तो यह उनकी ईमानदारी का “प्रमाणपत्र” होगा। उन्होंने कहा कि, वे महाराष्ट्र के साथ-साथ जल्द चुनाव कराने पर जोर देंगे। 54 वर्षीय नेता ने यह घोषणा कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से संबंधित भ्रष्टाचार के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जमानत दिए जाने के बाद तिहाड़ जेल से रिहा होने के दो दिन बाद की।सर्वोच्च न्यायालय ने केजरीवाल की रिहाई पर कुछ शर्तें भी लगाईं, जिनमें यह भी शामिल है कि उन्हें मामले के बारे में सार्वजनिक टिप्पणी करने से बचना होगा और जब तक छूट न दी जाए, उन्हें ट्रायल कोर्ट के समक्ष सभी सुनवाइयों में उपस्थित होना होगा।

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