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नई दिल्ली : चीनीमंडी
द शुगर टेक्नोलॉजिस्ट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (STAI) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए, अध्यक्ष संजय अवस्थी ने बगास से भविष्य में होने वाली समस्याओं पर जोर दिया। उन्होंने कहा, अभी चीनी मिलों को राजस्व प्रदान करनेवाला बगास अगले पांच वर्षों में एक बड़ी समस्या बन जाएगा, क्योंकि अधिकांश राज्य थर्मल और हाइड्रो परियोजनाओं द्वारा उच्च दक्षता और क्षमता उपयोग के कारण बिजली अधिशेष प्राप्त कर रहे हैं और सौर ऊर्जा से सस्ती बिजली प्राप्त कर रहे हैं। और चीनी मिलों के साथ राज्यों द्वारा कोई नया पीपीए भी अनुबंध नहीं हुआ है।
भारत में सालाना लगभग 80 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) बगास का उत्पादन होता है। यह उच्च समय है कि उद्योग को इस बात पर विचार करना होगा कि वे भविष्य में अधिशेष बगास का उपयोग कैसे करेंगे।
कोका-कोला कंपनी का एक उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा, मैंने मेक्सिको में एक प्लांट देखा है, जहां कोका-कोला ने बगास से प्लास्टिक की बोतलों के निर्माण की तकनीक हासिल कर ली है, जो गल सकता है और अगर उस बोतल को मिट्टी में दफना दिया जाए तो यह छह सप्ताह के भीतर विघटित हो जाएगा। इस व्क़्त में प्लास्टिक जो हम उपयोग कर रहे हैं वह काफी नुकसानदायक है, जो कि विघटित नहीं हो सकता है, और इसकि आयु 100 वर्ष से अधिक है।
उन्होंने कहा उद्योग को अब भविष्य में बगास के कुशल उपयोग के लिए वैकल्पिक, अभिनव और आकर्षक तरीकों पर ध्यान देना होगा जैसे कि कागज, हार्ड बोर्ड, बायो-प्लास्टिक, डिस्पोजेबल कप प्लेट, दूसरी पीढ़ी के इथेनॉल का निर्माण। और साथ ही साथ कहा की हमें उनमें से प्रत्येक की व्यवहार्यता और किसी विशेष क्षेत्र में उद्योग को क्या सूट करता है, यह भी देखना होगा