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नई दिल्ली : चीनी मंडी
बलरामपुर चीनी मिल्स लिमिटेड के स्टॉक ने 2019 में अब तक 53% से अधिक का रिटर्न दिया है। जिससे निवेशकों में ख़ुशी की लहर दौड़ रही है। जैव ईंधन पर सरकार की राष्ट्रीय नीति के चलते, चीनी उत्पादक राजस्व बढ़ाने के लिए इथेनॉल उत्पादन बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं। जिससे निवशकों को फायदा हो सकता है।
मार्च तिमाही में, बलरामपुर चीनी मिल्स के चीनी उत्पादन का राजस्व 22% बढ़कर 1,266 करोड़ हो गया। फरवरी में, सरकार ने चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) को प्रति किलोग्राम 29 रूपये से बढ़ाकर 31 रूपये कर दिया था। मार्च तिमाही में कंपनी की औसत वसूली लगभग 31.50 रूपये , जो एक साल पहले के समान स्तर पर थी। इसके अतिरिक्त, डिस्टिलरी के कारोबार में मार्च तिमाही में राजस्व में 45% की सालाना वृद्धि हुई है। चौथी तिमाही के दौरान लगभग 240 लाख लीटर इथेनॉल औसतन 43.76 रूपये प्रति लीटर बेचा गया।
विश्लेषकों का कहना है कि, इथेनॉल का उत्पादन चीनी उत्पादकों के लिए अधिक लाभदायक है क्योंकि इसका उत्पादन मोलासिस से होता है, जो चीनी उत्पादन में एक बायप्रोडक्ट है। परिणामस्वरूप, उसका मुनाफे में योगदान महत्वपूर्ण हो जाता है। डिस्टिलरी सेगमेंट की EBIT (ब्याज और कर से पहले की कमाई), 88 करोड़ थी, जो एक साल पहले की अवधि में 29 करोड़ थी। इसकी तुलना में, चीनी उत्पादन ने मार्च तिमाही में 79 करोड़ की एक ईबिट की रिपोर्ट की, जो कि एक साल पहले नुकसान में थी।
पिछले कुछ महीनों में बलरामपुर चीनी मिल्स के स्टॉक के प्रदर्शन से पता चलता है कि इसकी कीमत बहुत ज्यादा है। इसके अलावा, चीनी मूल्य निर्धारण पर सरकार की नीतियां बदल सकती हैं, जिससे चीनी वास्तविकताओं को खतरा है। और इसके अलावा, पिछले साल की चीनी अधिशेष की समस्या अभी खत्म नहीं हुई है। इसीलिए निवेशकों को सावधानी बरतनी होगी।