महाराष्ट्र से बाहरी राज्यों में गन्ने के निर्यात पर रोक

मुंबई: राज्य में पिछले दो महीने से अपेक्षित बारिश नहीं हुई है। इसका सीधा असर गन्ने की वृद्धि पर पड़ा है। सोलापुर सहित मराठवाड़ा में गन्ना सूख रहा है और किसानों ने चारे के लिए खड़ा गन्ना बेचना शुरू कर दिया है। इससे गन्ने का उत्पादन और घटने का अनुमान है। पडोसी कर्नाटक भी सूखे की समस्या से जूझ रहा है, और सीमावर्ती इलाकें मिलें महाराष्ट्र के गन्ना फसल पर नजर गड़ाए बैठी है। इस पृष्ठभूमि में राज्य के अपर मुख्य सचिव राजेश कुमार ने 13 सितंबर 2023 को एक अधिसूचना जारी कर महाराष्ट्र से बाहरी राज्यों में गन्ने के निर्यात पर रोक लगा दी है।

क्या कहती है अधिसूचना?

अधिसूचना में कहा गया है कि, राज्य में सीजन 2023-24 में गन्ना उत्पादन और चीनी उत्पादन में गिरावट की संभावना है, और यह बात राज्य के चीनी आयुक्त ने राज्य सरकार के ध्यान में लाई है। और 2023-24 में चीनी उद्योग को पूरी क्षमता से चलाने के लिए बाहरी राज्यों में गन्ने के निर्यात पर प्रतिबंधित करना जरूरी है। तदनुसार, अब, गन्ना (नियंत्रण) आदेश, 1966 के खंड 6 की उप-धारा 1 के खंड (एफ) के साथ-साथ उक्त आदेश के खंड 11 की उप-धारा 1 (बी) के प्रावधान के अनुसार, निर्यात 30 अप्रैल, 2024 तक बाहरी राज्यों में गन्ने के निर्यात पर रोक लगा दी है।

गन्ना उत्पादन में 15 से 20 फीसदी की कमी की संभावना…

चीनी उद्योग विशेषज्ञों ने आने वाले सीजन में गन्ने के उत्पादन में औसतन 15 से 20 फीसदी की कमी की आशंका जताई है। इससे फैक्ट्रियों से गन्ने का डायवर्सन होने की आशंका है। विशेषकर कोल्हापुर, सांगली और सोलापुर जिलों के गन्ने पर कर्नाटक सीमा क्षेत्र की फैक्ट्रियों की नजर है। सूत्रों ने ‘चीनीमंडी’ को बताया कि राज्य सरकार ने यह फैसला तुरंत लिया है, क्योंकि गन्ने की तस्करी करने पर राज्य की चीनी मिलों को बड़ी चपत लगने की आशंका है।

चारे के लिए 4000 से 4500 हजार रुपये प्रति टन…

गन्ने की फसल का उपयोग पशुओं के चारे के लिए व्यापक रूप से किया जा रहा है। पश्चिमी महाराष्ट्र समेत मराठवाड़ा में पानी की कमी के कारण गन्ने की फसल सूख गई है। पशुओं को चारे की समस्या होने लगी है, इसलिए अधिकांश पशुपालक गन्ने का उपयोग अपने पशुओं के चारे के रूप में कर रहे हैं। फिलहाल किसानों को गन्ने के चारे के लिए 4000 से 4500 हजार रुपये प्रति टन का भुगतान करना पड़ रहा है। पशु चारे के लिए गन्ने के बढ़ते उपयोग को देखते हुए, चीनी मिलों को आगामी पेराई मौसम में गन्ने की कमी का सामना करने की आशंका है।

चीनी आयुक्त डॉ. चंद्रकांत पुलकुंडवार ने ‘चीनी मंडी’ से बात करते हुए कहा की, बारिश की कमी के कारण राज्य में गन्ने का उत्पादन घटने की संभावना है। राज्य सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठा रही है कि राज्य में चीनी सीजन पूरी क्षमता से चले।

बाहरी राज्यों में गन्ना जाने से रोकने के लिए यह फैसला लिया गया है। इससे पहले भी 2017 में सरकार की ओर से ऐसा आदेश जारी किया गया था। राज्य के चीनी आयुक्त का मानना है कि, इससे राज्य के चीनी उद्योग को फायदा होगा।

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