बस्ती: पिछले कुछ सालों से गन्ना किसानों के सामने मजदूरों की कमी का संकट खड़ा हुआ है। मजदूरों की कमी ने किसानों को गन्ना खेती करना मुश्किल होता जा रहा है। एक तरफ खेती की लगत लगातार बढ़ रही है, और वही दूसरी तरफ मजदूरी की कमी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। कई चीनी मिलों का पेराई सीजन अंतिम चरण में पहुंच चूका है, लेकिन अब भी कई किसानों की गन्ना फसल खेतों में खड़ी है। किसानों को पर्याप्त संख्या में बाहरी मजदूर गन्ना छिलाई के लिए नहीं मिल रहे है। इसके चलते गन्ने की छिलाई का संकट खड़ा हो गया है।
बभनान चीनी मिल परिक्षेत्र के किसानों का नकदी फसल गन्ना है। यहां के किसान अपने रकबे के आधे से अधिक हिस्से पर गन्ने की बुवाई करते हैं। बभनान चीनी मिल का पेराई सत्र शुरू हुए चौथा महीना है, पर क्षेत्र में पर्याप्त संख्या में बाहरी मजदूर गन्ना छिलाई के लिए नहीं मिल रहे हैं। इसके चलते गन्ने की छिलाई का संकट खड़ा हो गया है।
बभनान क्षेत्र में गन्ने की बुवाई होने के चलते गन्ना छिलाई के लिए बिहार, पीलीभीत, खीरी-लखीमपुर, सीतापुर, नेपाल आदि स्थानों से मजदूर आते हैं। मौजूदा पेराई सत्र में बाहरी मजदूर इक्का-दुक्का जगह से ही आए हैं। जिन किसानों को गन्ने की पर्ची मिल जा रही है वह मजदूरों के अभाव में गन्ने की छिलाई नहीं करा पा रहे हैं। किसानों का कहना है कि बाहरी मजदूरों के न आने से जो किसान सिर्फ मजदूरों पर निर्भर हैं, उनमें से अधिकतर किसानों को स्थानीय मजदूरों पर निर्भर होकर छिलाई करना पड़ रहा है। स्थानीय मजदूर बाहरी मजदूरों के अपेक्षा गन्ने की कम छिलाई कर पाते हैं। तापमान में वृद्धि होने के नाते छीलने के दौरान ही गन्ने का वजन कम हो जा रहा है। इससे किसान को घाटा लगने की भी डर सता रहा है।कई किसान अभी भी मजदूर आने के इंतजार में हैं।