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कानपुर : एक ही फसल से किसानों को अच्छा मुनाफा मिलना काफी मुश्किल हो गया है, जिसके कारण किसान खेती के पारम्परिक तरीकों में बदलाव कर रहे है। इस बदलाव में तकनीकी सुधार के साथ-साथ एकही वक्त में दो या तीन फसले लेने की कोशिश जा रही है। पानी की कम खपत और ज्यादा से ज्यादा उत्पादन मिल सके ऐसी फसले कृषि वैज्ञानिक इजाद कर रहे है, और उसमे उन्हें सफलता भी मिल रही है। उत्तर प्रदेश के कई जिलों में अब गन्ने के साथ साथ चुकंदर और मक्के की खेती पर जोर दिया जा रहा है। जिससे किसानों की आमदनी बढ़ जाए। गन्ने से चीनी और चुकंदर से इथेनॉल बनाया जाएगा। इससे किसानों की आय बढने में मदद मिलेगी।
गन्ने के साथ चुकंदर और मक्के की फसल से केंद्र सरकार की इथेनॉल निति को भी बढ़ावा मिल जायेगा। इथेनॉल का इस्तेमाल बढने पर आगे जाकर डीजल की कीमते भी कम होने की सम्भावना है, जिससे देश को सालाना लगभग 20,000 करोड़ से ज्यादा का फायदा हो सकता है। इथेनॉल उत्पादन से आर्थिक तंगी से गुजर रही चीनी मिलों के राजस्व में भी काफ़ी बढ़ोतरी होगी। इतना ही नही इथेनॉल को रसोई गैस और पेट्रोल में मिलाने के बाद भविष्य में उनकी कीमत भी कम की जा सकती है, जिसका सीधा फायदा गन्ना किसानों की तरह आम आदमी को भी होगा। चीन, इटली, स्वीडन, अमरीका, आस्ट्रेलिया, इजरायल, जापान और कई यूरोपीय देशों में इथेनॉल का उपयोग किया जा रहा है। अब इन देशों में भारत भी शामिल होगा।