“भीमा पाटस चीनी कारखाने का चीनी मूल्य 2300 रुपये होने पर भी चीनी की बिक्री को रोक दिया। इसलिए समय पर गन्ना बिल नहीं दिया जा सका। सदस्यों को इसकी तकलीफ हुई। लेकिन यही चीनी ३०५० रूपये मूल्य से बिक्री करने से मिल को तीस करोड़ रुपयों का लाभ मिला। इसका सम्पूर्ण क्रेडिट मिल सदस्यों को जाता है।” ऐसी जानकारी मिल के अध्यक्ष और आमदार राहुल कुल ने दी।
भीमा पाटस चीनी मिल की रोलर पूजा माजी निदेशक शहाजी जाधव के हस्ते हुई। इस कार्यक्रम के बाद कुल ने पत्रकारों से बातचीत की। कुल ने कहा,” एक अक्टूबर से शुरू होने वाले क्रशिंग सीज़न में मिल ने ११ करोड़ टन का उद्दिष्ट रखा है। मिल की दुरुस्ती का काम जलद गति से शुरू है। गन्ना कटाई और परिवहन के लिए उठाव दिया है। पिछले सीज़न में भीमा पाटस मिल की एफआरपी प्रति टन दो हजार रूपये थी। यह पूरी रकम सभी गन्ना उत्पादकों को दी गयी है, दीवाली में सदस्यों को बाकि गन्ना भुगतान देने का निर्णय संचालक मंडल की सोच है। अनुसूची के अनुसार कर्मचारियों को वेतन दिया जाता है। आने वाले सीज़न में दो करोड़ लीटर इथेनॉल निर्मिति और तीन करोड़ बिजली यूनिट की निर्मिति करने का उद्दिष्ट रखा है। आने वाला सीज़न मिल की वित्तीय कठिनाइयों को ख़त्म करेगा ऐसा आश्वस्त लग रहा है। पिछले सीजन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सबसे कठिन परिस्थियों में चीनी कारखानों को 36 करोड़ रूपये दान दिए। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, मंत्री पंकजा मूंडे, गिरीश बापट, महादेव जानकर इनके सहयोग और सदस्यों के विश्वास से किसानों के स्वामित्व वाला कारखाना मुसीबत से बाहर निकल रहा है यह एक बड़ा समाधान है।”