पटना : लोकसभा चुनाव प्रचार में प्रदेश की बंद पड़ी चीनी मिलों का मुद्दा काफी चर्चा में रहा।सत्ताधारी और विपक्षी दल इस मुद्दे को लेकर भीड़ गये थे। अब केंद्र में तीसरी बार मोदी सरकार बनने के बाद बंद चीनी मिलें दोबारा से शुरू करने की मांग जोर पकड़ने लगी है। नवनिर्वाचित सांसद भी इस मुद्दे को लेकर काफी गंभीर दिखाई दे रहे है। सांसद केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और कैबिनेट मंत्रियों से मिलकर उनको अपने-अपने इलाकों की बंद पड़ी चीनी मिलें, पेपर मिलें या अन्य तरह के उद्योग धंधों की लिस्ट सौंप रहे है। सांसदों की इस मांग पर केंद्र सरकार ने भी विचार करना शुरू कर दिया है।
समस्तीपुर से एलजेपी (रामविलास) के टिकट पर जीतकर आई देश की युवा सांसदों में से एक शाम्भवी चौधरी ने न्यूज 18 हिंदी के साथ बातचीत में कहा की, समस्तीपुर किसान प्रधान इलाका है। यहां पर मक्के की उपज ज्यादा होती है। हम चाहेंगे कि समस्तीपुर में भी एक फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगे। मैं इस सिलसिले में अपने नेता चिराग पासवान जी से भी बात करूंगी। इसके साथ ही हम अशोक पेपर मिल हो या समस्तीपुर में बंद पड़े जूट मिल सभी को प्राथमिकता के साथ दोबारा से शुरू करने की कोशिश करेंगे। मेरी प्राथमिकता रहेगी कि जो फैक्ट्री बंद हो गए हैं, वे फिर से शुरू हो जाएं।
बिहार में चीनी, पेपर, जूट, सूत और सिल्क उद्योग का बेहद सुनहरा अतीत रहा है।बिहार के जाने माने अर्थशास्त्री अजय कुमार झा कहते है की, फूड इंडस्ट्री में तो भारत की ही हिस्सेदारी पूरे विश्व में 6-7 प्रतिशत से ज्यादा नहीं है तो सोचिए बिहार की स्थिति क्या होगी? अगर बिहार की बात करें ते यहां एग्रीकल्चर सेक्टर के कई प्रोडक्ट्स का पैकेजिंग कर आप निर्यात कर सकते है।इससे बिहार का जीडीपी बढ़ेगा और लोगों के जीवन स्तर में काफी बदलाव भी आ जाएगा।