बगहा : गन्ना किसान पिछले कई सालों से बंद पड़ी चनपटिया चीनी मिल शुरू होने का इंतजार कर रहे है। सभी राजकीय दलों ने मिल को शुरू करने का वादा किया, लेकिन यह वादा अभी तक नही पूरा हुआ। किसानों के अनुसार, अगर मिल फिर से शुरू हो जाती है तो चनपटिया, बेतिया, नौतन, बैरिया योगापट्टी आदि इलाकों का विकास हो सकता है। मिल शुरू होने से रोजगार के कई अवसर निर्माण हो सकते है, और साथ ही कई छोटे-बड़े उद्योग भी निर्माण हो सकते है।
लाइव हिंदुस्तान में प्रकाशित खबर के मुताबिक, तीन दशक से बंद चीनी मिल की चर्चा केवल चुनाव के दौरान होती है, राजनेताओं द्वारा चीनी मिल खोलने के केवल वादे किये जाते है। 1932 में चनपटिया में चीनी मिल स्थापित की गई थी। उस वक्त ब्रिटिश इंडिया कॉरपोरेशन के तहत मिल में चीनी का उत्पादन शुरू हुआ। मिल के चालू होने के बाद क्षेत्र की समृद्धि बढ़ने लगी। 1994 में चीनी मिल बंद पड़ने के बाद यहां की अर्थव्यवस्था चरमरा गई।
मिल बंद होने से यहां का गन्ना नरकटियागंज, रामनगर, बगहा एवं लौरिया के चीनी मिलों में भेजना पड़ता है। जिससे किसानों को अधिक भाडा देना पड़ता है। मिल बंद होने से कर्मियों और किसानों के करोड़ों रुपये अब भी बकाया है। चनपटिया क्षेत्र में गन्ना किसानों की संख्या अधिक है। इसलिए यहां की बंद पड़ी चीनी मिल को पुन: चालू कराना जरूरी है।