पटना : बिहार के गन्ना किसान नाराज है और राज्य का चीनी उद्योग भी संघर्ष कर रहा है। इस स्थिति का सीधा असर प्रदेश के गन्ना किसानों पर हो रहा है। इस सीजन में तो हालात ऐसे है की, बिना गन्ना मूल्य तय किये गन्ना पेराई का सत्र खत्म हो गया।
लाइव हिंदुस्तान में प्रकाशित खबर के मुताबिक, गन्ना किसानों से 2021-22 में जिस मूल्य पर गन्ना की खरीद चीनी मिलों द्वारा की गयी थी, उसी मूल्य पर 2022-23 में भी खरीद की गयी। राज्य सरकार द्वारा गन्ना किसानों की तरफ हो रही अनदेखी से किसान काफी आहत है। राज्य सरकार के इस रवैये से गन्ना मूल्य में बढ़ोतरी नहीं होने से खेती की लागत में बढ़ोतरी होने के कारण आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा। राज्य सरकार और चीनी मिलों के बीच सहमति नहीं बनने के कारण नये सत्र के लिए गन्ना मूल्य तय नहीं किया जा सका। चीनी मिलों द्वारा पेराई सत्र 2022-23 में किसानों का शत प्रतिशत भुगतान नहीं हुआ है।
राज्य में आजादी के पूर्व 28 चीनी मिलों का संचालन किया जाता था, और वर्तमान में सिर्फ 9 चीनी मिलों का ही संचालन किया जा रहा है। ये सभी चीनी मिलें निजी है। इनमें पश्चिमी चंपारण में बगहा, लौरिया, रामनगर, नरकटियागंज व मंझौलयां, एचपीसीएल सुगौली, मोतिहारी, विष्णुपुर चीनी मिल एवं सिधवलिया चीनी मिल, गोपालगंज एवं हसनपुर चीनी मिल, समस्तीपुर चीनी मिल है। वहीं, की जा रही है। वर्तमान में गोपालगंज एवं रीगा चीनी मिल, सीतामढ़ी बंद है।