कांग्रेस-रांकापा के चीनी उद्योग के गढ़ में भाजपा-शिवसेना ने लगाई सेंध…

कोल्हापुर : चीनी मंडी

महाराष्ट्र की राजनीती में चीनी उद्योग ने हमेशा से ही अहम भूमिका निभाई है। पिछले 50 सालों में हर एक चुनाव में, चाहे वो लोकसभा हो या विधानसभा हो चीनी उद्योग ने अपना खासा असर छोड़ा है। इस चीनी उद्योग और सहकारिता क्षेत्र पर कांग्रेस और रांकापा ने मजबूत पकड़ बना कर रखी थी, लेकिन पिछले 10 सालों में कांग्रेस और रांकापा के चीनी उद्योग के गढ़ में विरोधी भाजपा और शिवसेना ने भी अपनी पैठ जमाई है। जिसके बलबूते भाजपा और शिवसेना ने कांग्रेस -रांकापा का गढ़ माने जाने वाले पश्चीमी महाराष्ट्र में भी बहुत तेजी से विस्तार किया है। इसी वजह से अभी चल रहे विधानसभा चुनाव में कांग्रेस – रांकापा को सत्ता में आने में मुश्किल हो सकती है।

भाजपा और शिवसेना के बागी उम्मीदवार अगर मतों का खेल बिगाड़ देते है, तो फिर कांग्रेस और रांकापा दोनों मिलकर 100 सीटों तक पहुँचने की उम्मीद है, नही तो ये दोनों राजनितिक दल 100 के अंदर सिमटने की आशंका राजनितिक जानकारों द्वारा जताई जा रही है।

महाराष्ट्र की राजनीती में पिछले एक साल में काफी उथलपुथल देखी गई, खासकर लोकसभा चुनाव में करारी हर के बाद कांग्रेस -रांकापा के कई दिग्गज नेताओं ने भाजपा और शिवसेना का दामन थाम लिया। महाराष्ट्र के कई जिलों में रातोंरात अनेक नेतागण भाजपाई हुए इसमें सबसे ज्यादा संख्या चीनी मिलर्स की थी, क्योंकि उन्हें पहले से ही विपक्षी दल में रहने की आदत नही है। अपनी मिल और अपनी अन्य संस्थाओं को बचाने के लिए इन नेताओं की भाजपा और शिवसेना में जाने के लिए जैसे होड़ लग गई थी, जिससे कांग्रेस और रांकापा यह दोनों दल काफी कमजोर हो गये है। विधानसभा चुनाव आते आते हालात ऐसे हो गये की कई सीटों पर तो कांग्रेस और रांकापा को उम्मीदवार भी नही मिलें।

कोल्हापुर जिले में सांसद संजय मंडलीक, विधायक चन्द्रदीप नरके, समरजीतशिंह घाटगे और कांग्रेस – रांकापा की सरकार में मंत्री रह चुके विनय कोरे इन्होंने हवा के बदलते रुख को पहचानते हुए पहलेही भाजपा और शिवसेना में दाखिल हुए थे। अब उनके बाद चार महिने पहिले रांकापा से लोकसभा उम्मीदवार भूतपूर्व सांसद धनंजय महाडिक भी भाजपा में शामिल हो गये। साथ ही माधवराव घाटगे, अशोक चराटी भी भाजपाई बन गये है।

सांगली जिले में भी पृथ्वीराज देशमुख, सांसद संजय पाटिल के बाद अब नागनाथ नायकवडी के वारिस वैभव नायकवडी भी भाजपा में आ गये। सातारा जिले में रांकापा के सांसद उदयनराजे भोसले और एमएलए शिवेंद्रराजे भोसले, सुरेश भोसले, अतुल भोसले और भूतपूर्व कांग्रेसी एमएलए मदन भोसले भाजपा को मजबूत बनाने की कवायद कर रहे है। पुणे जिले में कांग्रेस के कद्दावर नेता और भूतपूर्व मंत्री हर्षवर्धन पाटिल, रंजन कुल, रंजन तावरे आदि नेताओं ने भाजपा की डोर संभाली है। सोलापुर में तो रांकापा को सबसे बड़ा झटका तब लगा जब उनके नेता विजयसिंह मोहिते-पाटिल ने ही भाजपा में प्रवेश किया। उनके साथ साथ सोलापुर जिले के तानाजी सावंत, सुधाकरपन्त परिचारक, दिलीप सोपल, रश्मि बागल, कल्याणराव काले, धनाजी साठे, समाधान अवताड़े यह दिग्गज चीनी मिलर्स भी कांग्रेस और रांकापा को छोड़ भाजपा और शिवसेना में शामिल हो गये।

महाराष्ट्र की राजनीती में चीनी उद्योग का योगदान काफी महत्वपूर्ण है। कांग्रेस ने चीनी उद्योग के माध्यम से ग्रामीण इलाकों में खुदको काफी मजबूत बना कर रखा था। जिससे उन्होंने सालों साल महाराष्ट्र की राजनीती में विपक्षियों को करारी हार दी थी, लेकिन अब समय के साथ चीनी उद्योग की राजनीती ने भी करवट बदली है और जिसके कारण कांग्रेस – रांकापा को भाजपा और शिवसेना से कड़ा मुकाबला करना पड़ रहा है।

पश्चिमी महाराष्ट्र में कुल 119 चीनी मिलें है, और इसमें से 50 मिलों का पहलेही निजीकरण हुआ है। कई मिलें गन्ने की कमी के कारण और कुछ मिलें खराब प्रबंधन के चलते बंद हुई है। अब 114 मिलें अच्छी स्थिती में है और उनमे से लगभग 44 मिलों पर भाजपा और शिवसेना का परचम लहरा रहा है। 30 हजार करोड़ रुपयों की सालाना उलाढाल करने वाले इस उद्योग में आने के बाद से भजपा और शिवसेना को शिकस्त देना कांग्रेस और रांकापा को मुश्किल हो गया है।

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