लखनऊ: अपर मुख्य सचिव, चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग संजय आर. भूसरेड्डी द्वारा ”An Impact Assessment Study with Respect to Stakeholder’s Perception on Initiatives by Sugar Industry & Cane Development Department, U.P.” पुस्तक रिलीज करते हुए वी.सी. के माध्यम से प्रदेश के गन्ना विकास विभाग एवं सहकारी चीनी मिलों के अधिकारियों से पुस्तक के सम्बन्ध में परिचर्चा की गयी। श्री भूसरेड्डी ने बताया कि प्रदेश में गन्ना विकास विभाग गन्ना किसानों के सर्वांगीण विकास एवं चीनी उद्योग में स्थिरता लाने हेतु सतत प्रयत्नशील है। वर्ष 2017 में गन्ना विभाग द्वारा 08-सूत्रीय कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया जिसको अगले वर्ष 2018 में 09-सूत्रीय कार्यक्रम में परिवर्तित किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य गन्ने की उत्पादन लागत कम करना, गन्ने की उत्पादकता बढ़ाना, गन्ने की सही समय से पेराई सुनिश्चित करना तथा गन्ना किसानों को तकनीक से जोड़ते हुए गन्ना खेती की उन्नतशील विधियों को अपनाने हेतु प्रेरित करना सम्मिलित था साथ ही विभाग द्वारा गन्ना किसानों की बेहतरी एवं चीनी उद्योग में स्थिरता लाने हेतु 25-सूत्रीय कार्यक्रम भी प्रारम्भ किया गया जिसमे बंद चीनी मिलों का पुर्नसंचालन, त्वरित गन्ना मूल्य भुगतान हेतु “एस्क्रो एकाउंट मैकेनिज्म” अपनाने, सहकारी गन्ना विकास समितियों का सुदृढ़ीकरण, कृषक हित में सट्टा नीति में बदलाव, छोटे किसानों को गन्ना आपूर्ति में सुविधा, खाण्डसारी इकाइयों को आॅनलाइन लाइसेंसिंग व्यवस्था, अन्तरग्रामीण सड़कों का निर्माण एवं पुर्ननिर्माण एवं राज्य सरकार के माध्यम से नई पुरस्कार नीति को लागू किया जाना आदि कार्यक्रम सम्मिलित थे। इन कार्यक्रर्मों के क्रियान्वयन के फलस्वरूप प्रदेश की गन्ना उत्पादकता एवं चीनी परता में व्यापक सुधार हुआ तथा गन्ने की उत्पादकता जो वर्ष 2016-17 में 72.38 टन प्रति हेक्टेयर थी वर्ष 2019-20 में बढ़कर 81.10 टन प्रति हेक्टेयर हो गयी और प्रदेश का औसत चीनी परता जो वर्ष 2016-17 में 10.61 प्रतिशत था वर्ष 2018-19 में 11.46 प्रतिशत एवं 2019-20 में 11.30 प्रतिशत हो गया जबकि वर्ष 2019-20 में लगभग 46 मिलों द्वारा बी-हैवी माॅलाशिस से एथेनाॅल का उत्पादन किया गया यदि इसको शामिल किया जाये तो वास्तविक चीनी परता 11.73 प्रतिशत होता। इस प्रकार प्रदेश में वर्ष 2017-18 से वर्ष 2019-20 तक 03 वर्षों में रिकाॅर्ड 3,262 लाख टन गन्ने की पेराई हुई और 365 लाख टन चीनी का रिकाॅर्ड उत्पादन हुआ और वर्ष 2017-18 से न केवल गन्ना एवं चीनी उत्पादन में प्रदेश लगातार देश में प्रथम स्थान प्राप्त कर रहा है, अपितु एथेनाॅल उत्पादन एवं कोजन द्वारा विद्युत उत्पादन में भी अभूतपूर्व वृद्धि हुई है।
उक्त कार्यक्रर्मों के क्रियान्वयन से गन्ना विभाग के विभिन्न हितधारको यथाः गन्ना किसान, चीनी मिल एवं विभाग पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन आई.आई.एल.एम. लखनऊ की प्रोफेसर एवं एसोसिएट डीन डां. विभूति गुप्ता की अध्यक्षता में एक टीम द्वारा किया गया। उक्त अध्ययन में गन्ना किसानों, चीनी मिलों, गन्ना समितियों एवं सम्बन्धित अधिकारियों से एक विस्तृत Questionnaire(प्रश्नावली) के माध्यम से उनके रिस्पाॅन्स मांगे गये तथा विभिन्न हितधारकों के साथ इण्टरैक्टिव सेशन्स किये गये। उक्त अध्ययन में इकट्ठी की गई सूचनाओं का मानक सांख्यिकीय टूल्स द्वारा एनालाइसिस किया गया तथा यह पाया गया कि उक्त सभी कार्यक्रम गन्ना किसानों, चीनी मिलों एवं गन्ना समितियों तथा गन्ना विकास विभाग के लिये हितकारी साबित हुए है और इन्होंने गन्ना किसानों को आर्थिक रूप से समृद्ध करने के साथ-साथ प्रदेश के चीनी उद्योग के सुदृढ़ीकरण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इन सभी विभागीय एनीसिएटिव्स के महत्व को सभी हितधारकों द्वारा स्वीकार किया गया तथा अध्ययन से सिद्ध हुआ कि उक्त कार्यक्रम के क्रियान्वयन से प्रदेश में गन्ने के उत्पादन, चीनी उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ किसानों की आर्थिक दशा में सुधार हुआ है और चीनी उद्योग को स्थिरता प्राप्त हुई है एवं गन्ना समितियां आर्थिक रूप से सुदृढ़ हुई है जिसके कारण वो किसानों के बेहतर सेवा कर पा रही है। उक्त अध्ययन ”An Impact Assessment Study with Respect to Stakeholder’s Perception on Initiatives by Sugar Industry & Cane Development Department, U.P.” नामक किताब में प्रकाशित हुआ है।
श्री भूसरेड्डी ने ”An Impact Assessment Study” को रिलीज करते हुए उस पुस्तक के संबंध में प्रदेश के उप गन्ना आयुक्तों, जिला गन्ना अधिकारियों, सहकारी गन्ना समितियों के सचिवों, गन्ना विकास परिषदों के ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षकों एवं चीनी मिल के प्रधान प्रबन्धकों के साथ पुस्तक के संबंध में परिचर्चा की गयी। इस अवसर पर चीनी मिल संघ के प्रबन्ध निदेशक, विशेष सचिव, चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास, अपर चीनी आयुक्त, अपर गन्ना आयुक्त (प्रशासन) तथा अध्ययन टीम की प्रमुख डा. विभूति गुप्ता के साथ मुख्यालय के अन्य अधिकारियों द्वारा प्रतिभाग किया गया। श्री भूसरेड्डी ने बताया कि यह पुस्तक विभागीय अधिकारियों, कर्मचारियों हेतु अत्यंत लाभप्रद होगी तथा भविष्य में गन्ना विकास की नई योजनाएं बनाने के लिये सहायक सिद्ध होगी।