नई दिल्ली : चीनी मंडी
अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड के बढ़ते दाम को ध्यान में रखकर ब्राजील ने गन्ने से चीनी की बजाय इथेनॉल उत्पादन बढ़ाने का फैसला किया है। ब्राजील इसके लिए 5 से 25 लाख मेट्रिक टन गन्ने का इस्तेमाल करेगा। ब्राजील के इस फैसले से विश्व बाजार में बीते 10 – 15 दिनों में चीनी की कीमतों में बढ़ोतरी देखि जा रही है। चीनी की बढती कीमतों का सीधा लाभ भारत की चीनी मिलों को मिल सकता है ।
केंद्र सरकार ने हाल ही में ₹ 5,500 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की। इसमें आंतरिक परिवहन, माल ढुलाई, और निर्यात के लिए अन्य शुल्क और 2018-19 के लिए निष्पक्ष और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) के हिस्से के रूप में सीधे किसानों को 1,375 करोड़ रुपये शामिल हैं, जो चीनी मिल के गन्ना मूल्य देयता को कम कर देगा। अब विश्व बाजार में चीनी कीमतों की बढ़ोतरी का लाभ भारत की चीनी मिलों का मिल सकता है । केंद्र सरकार ने चीनी मिलों को निर्यात के लिए ५ लाख मेट्रिक टन कोटा आवंटित किया है ।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्ची चीनी की कीमत बढने के साथ ही डॉलर के मुकाबले रुपया रिकॉर्ड स्तर कमजोर होने के कारण कच्ची चीनी निर्यात को व्यवहार्य बना दिया गया है। मिलों ने नवंबर-दिसंबर में शिपमेंट के लिए फ्री-ऑन-बोर्ड (एफओबी) आधार पर प्रति टन 280 डॉलर पर 150,000 टन कच्ची चीनी के निर्यात के लिए अनुबंध किया है। अगर आंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमते इसी तरह बढती रही तो चीनी निर्यात और बढ़ सकती है ।
‘इस्मा’ के महानिदेशक अबिनाश वर्मा ने, एक निजी न्यूज़ चैनेल से बात करते हए कहा की, इस्मा और अन्य सरकारी एजिंसियो द्वारा भारत में 2018 – 2019 के चीनी मौसम में 35 लाख मेट्रिक टन चीनी उत्पादन का अनुमान लगाया गया था, लेकिन महाराष्ट्र के कई जिले और उत्तर कर्नाटक में सूखे की वजह से चीनी उत्पादन घटने की आशंका है। ‘इस्मा’ जल्द ही इस साल का चीनी उत्पादन के अनुमान का जायजा लेगा और फिर एक बार नया अनुमान सामने रखेगा, जो पहले अनुमान से कम हो सकता है। चीनी उत्पादन घटने से चीनी के दाम और बढ़ सकते है और इसका चीनी मिलों को फायदा हो सकता है ।