भारत द्वारा इथेनॉल को बढ़ावा देने से ब्राजील के चीनी उत्पादक को हो सकता है लाभ

साओ पाओलो: भारत द्वारा इथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा, निर्यात योग्य चीनी को इथेनॉल में परिवर्तित करने के भारत के निर्णय से ब्राजील का चीनी उद्योग खुश है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 जून को घोषणा की कि, इथेनॉल उनकी ऊर्जा और पर्यावरण योजना का केंद्र होगा, जो भारत की चीनी निर्यात सब्सिडी लागत को कम करने में भी मदद करेगा। भारत के नए 2020-25 इथेनॉल ब्लेंडिंग रोडमैप के अनुसार, 2023 से चरणबद्ध तरीके से 2025 तक मिश्रण लक्ष्य 20 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा।

भारत को 20 प्रतिशत लक्ष्य को पूरा करने के लिए प्रति वर्ष 10.16 बिलियन लीटर (175,080 बी/डी) अतिरिक्त इथेनॉल की आवश्यकता होगी, जिसमें से कम से कम 7 बिलियन लीटर गन्ने से और शेष अनाज से आने की उम्मीद है। कंसल्टेंसी आर्चर के निदेशक अर्नाल्डो कोरिया ने कहा कि, इससे भारत के चीनी उत्पादन और निर्यात में कमी आएगी, जो मध्यम अवधि में ब्राजील के लिए फायदेमंद है। साओ मार्टिन्हो के मुख्य वित्तीय अधिकारी फेलिप विचिआटो ने इस सप्ताह निवेशकों के साथ बातचीत में कहा की, भारत का 2020-25 इथेनॉल ब्लेंडिंग रोडमैप स्पष्ट रूप से वैश्विक चीनी बाजार के संबंध में ब्राजील के लिए एक सकारात्मक संकेत है। इस फैसले का असर अगले साल नहीं बल्कि 24 महीनों में दिखेगा।

अर्नाल्डो कोरिया ने कहा कि, अगले पांच वर्षों में चीनी की वैश्विक मांग सालाना 1 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है। भारत के चीनी निर्यात में कमी और जैव ईंधन की वैश्विक मांग में वृद्धि के साथ, ब्राजील को अपने केंद्र-दक्षिण गन्ना उत्पादन को 780 मिलियन टन से 850 मिलियन मीट्रिक टन तक बढ़ाना होगा, जो 2020-2021 सीज़न में 605 मिलियन टन हुआ था। ब्राजील की सरकारी फसल एजेंसी कोनाब के अनुसार, ब्राजील की गन्ने की फसल सिकुड़ रही है: 2014 और 2017 के बीच रोपण क्षेत्र 9 मिलियन हेक्टेयर तक पहुंच गया, लेकिन 2020-21 में घटकर 8.4 मिलियन हेक्टेयर रह गया।

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