मुंबई : चीनी मंडी
चीनी मौसम शुरू होने से पहले गन्ना कटाई मजदूर और ट्रांसपोर्टरों के साथ करार करने में विफल रही मिलों के कारण गन्ना क्रशिंग सीज़न की शुरुआत में ही ‘ब्रेक’ लगा हैं, जो आधिकारिक तौर पर 20 अक्टूबर को शुरू हुआ है। राज्य में इस सीझन में 1,040 लाख टन गन्ना क्रशिंग और 115 लाख टन चीनी का उत्पादन होने की उम्मीद है और 190 मिलें क्रशिंग करनेवाली है। विशेष रूप से मराठवाड़ा में मिलों ने अपने इलाकों में गन्ना क्रशिंग की शुरुआत कर दी थी।
राज्य में अब तक केवल पांच मिलों ने संचालन शुरू कर दिया है। बम्पर फसल के मद्देनजर, मंत्रिस्तरीय समिति ने 20 अक्टूबर को सीजन की शुरुआत की तारीख तय की थी। मिल्स अब कहते हैं कि, सीजन 1 नवंबर के बाद ही शुरू होगा, और कुछ क्षेत्रों में दिवाली के बाद ही शुरू होगा।
मिलों को मजदूर मिलने में हो रही दिक्कत
वेस्ट इंडियन मिल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष बी.बी.ठोम्ब्रे ने कहा कि, कई मिलों गन्ना कटाई करने मजदूर और ट्रांसपोर्टरों को अग्रिम भुगतान के लिए धन जुटाने में नाकाम रहे हैं। जून-अगस्त-सितंबर जैसे तीन किस्तों में भुगतान किया गया, औसत पर एक मिल को फसल और परिवहन (एच एंड टी) बिलों के लिए 20-25 करोड़ रुपये अग्रिम भुगतान करना पड़ता है। ज्यादातर मिलें दूसरी किस्त से भुगतान करने के लिए धन जुटाने में असफल रही है और इस प्रकार मजदूर मिलने में दिक्कत हो रही हैं ।
सीजन लेने के इच्छुक 194 मिलों से आवेदन
चीनी आयुक्त अधिकारियों ने पुष्टि की कि, सीजन लेने के इच्छुक 194 मिलों से आवेदन प्राप्त हुए हैं। इसमें चार मिलों के आवेदन शामिल हैं जो पिछले कुछ सालों से क्रशिंग शुरू किया है । इस साल सीजन लेने के लिए तीन नई मिलों ने भी आवेदन किया है। आज तक 31 लाइसेंस जारी किए गए हैं।
चीनी बिक्री कोटा से तरलता के प्रवाह को रोक दिया?
चीनी की कीमतों में गिरावट को रोकने के लिए, केंद्र सरकार ने चीनी की न्यूनतम बिक्री मूल्य
29 रुपये प्रति किलो और हर एक मिल को चीनी कोटा बिक्री के लिए निर्धारित किया था । लेकिन कुछ चीनी मिलों का मानना हैं कि, कोटा प्रणाली ने उनके लिए तरलता के प्रवाह को रोक दिया है। बैंकों ने इस क्षेत्र को उधार देने से इंकार कर दिया है, क्योंकि उनका कहना है की, ज्यादातर मिलें खुद के पास नकद रोख के रखती हैं और मजदूरों या अपने कर्मचारियों को भुगतान करने में असमर्थ हैं।
29 रुपये प्रति किलो और हर एक मिल को चीनी कोटा बिक्री के लिए निर्धारित किया था । लेकिन कुछ चीनी मिलों का मानना हैं कि, कोटा प्रणाली ने उनके लिए तरलता के प्रवाह को रोक दिया है। बैंकों ने इस क्षेत्र को उधार देने से इंकार कर दिया है, क्योंकि उनका कहना है की, ज्यादातर मिलें खुद के पास नकद रोख के रखती हैं और मजदूरों या अपने कर्मचारियों को भुगतान करने में असमर्थ हैं।
राज्य में सुखे की समस्या गंभीर
विशेषज्ञों का कहना है कि, इस क्षेत्र के लिए सूखा जो राज्य के विभिन्न हिस्सों में बड़ा हो रहा है, परेशानी का कारण बन सकता है । मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने वास्तव में केंद्र सरकार को सूखे प्रभावित के रूप में घोषित करने के लिए 358 तालुकों में से 172 के नामों की सिफारिश की है।