पीलीभीत, उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश के किसान नेताओं ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए केंद्रीय बजट की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि, इसमें महत्वपूर्ण कृषि मुद्दों की अनदेखी की गई है और कृषक समुदाय की प्रमुख चिंताओं को दूर करने में विफल रहा है। ‘एमएसपी गारंटी किसान संघर्ष मोर्चा’ के राष्ट्रीय संयोजक वीएम सिंह ने कहा, वित्त मंत्री ने राष्ट्रीय किसान आयोग की सिफारिशों को लागू करने की सरकार की प्रतिबद्धता पर चुप्पी साधे रखी। एनसीएफ ने सिफारिश की थी कि, एमएसपी उत्पादन की भारित औसत लागत से कम से कम 50% अधिक होनी चाहिए।
सिंह ने बताया कि, गन्ने के ‘उचित एवं लाभकारी मूल्य’ (एफआरपी) और समय पर भुगतान से जुड़े मुद्दों की अनदेखी की गई। उन्होंने सुझाव दिया कि इन मुद्दों को हल करने के लिए एक आरक्षित निधि बनाई जा सकती थी। सिंह ने कहा, चूंकि गन्ने के उत्पादन की वर्तमान लागत खरीद मूल्य के लगभग बराबर है, इसलिए सरकार से आगामी पेराई सत्र के लिए गन्ने के उचित एवं लाभकारी मूल्य में पर्याप्त वृद्धि की घोषणा करने की उम्मीद थी। यदि चीनी मिलों के हितों की रक्षा के लिए सरकार की चिंता के मद्देनजर यह वृद्धि संभव नहीं थी, तो वित्त मंत्री को वर्तमान मूल्य और मांग की गई दर के बीच के अंतर की भरपाई के लिए गन्ना खरीद पर सब्सिडी की घोषणा करनी चाहिए थी।
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