बुलंदशहर: उत्तर प्रदेश के चीनी उद्योग की विडंबना यह है की, कई मिलें भुगतान में सबसे आगे है, तो कई मिलें फिसड्डी साबित हुई है। लंबित भुगतान से किसान और किसान संघठन नाराज है, उन्होंने मिलों के साथ साथ गन्ना विभाग पर भी भुगतान के लिए दबाव बनाया है। ऐसे में अगर उत्तर प्रदेश के कृषि प्रधान जिले की बात करें तो मंडल के पांच जनपदों में बुलंदशहर गन्ना भुगतान करने के मामले में सबसे आगे है। गाजियाबाद जिला भुगतान में सबसे पीछे है। बुलंदशहर में 65.65 प्रतिशत भुगतान किया जा चूका है।
जागरण डॉट कॉम में प्रकाशित खबर के मुताबिक, जनपद में 1.75 लाख किसान परिवार गन्ने की फसल से जुड़े हैं। 80 हजार हैक्टेयर जमीन में गन्ने की खेती हो रही है। जिले में चार चीनी मिलों के साथ-साथ बाहरी दो जिलों की चीनी मिलों को भी किसान गन्ना आपूर्ति कर रहे हैं ।चालू पेराई सत्र अंतिम दौर में है। बुलंदशहर स्थित वेव शुगर मिल का 18 अप्रैल को पेराई सत्र बंद हो चुका है। जबकि साबितगढ़, अनामिका और अनूपशहर चीनी मिल मई माह में पेराई सत्र बंद करेंगे। चीनी उत्पादन की बात करें तो अभी तक 65 प्रतिशत गन्ना भुगतान चीनी मिलों ने कर दिया है। दूसरी तरफ मंडल के अन्य जिलों में भुगतान की स्थिति कुछ ऐसी है, मेरठ :(44.59 प्रतिशत), बागपत :(18.91 प्रतिशत),हापुड़ :(13.47 प्रतिशत), गाजियाबाद :(2.35 प्रतिशत)।