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थिंपू, भूटान, 21 जून: आगामी 17 से 19 जुलाई तक कोलकाता में आयोजित होने जा रहे 77 वें वार्षिक सम्मेलन एवं अंतर्राष्ट्रीय सुगर एक्सपो में वैसे तो देश और दुनिया से गन्ना और चीनी उद्योग से जुड़े विशेषज्ञ और उद्यमी भाग लेने आ रहे है लेकिन पड़ौसी देश भूटान के व्यापार और उद्योग विशेषज्ञ भी पहली बार चीनी आयात की संभावनाएँ तलाशने के लिए कोलकाता आएँगे।
भूटान जनसंख्या और भौगोलिक दृष्टि से वैसे तो छोटा देश है लेकिन अंतरराष्ट्रीय पर्यटन उद्योग के कारण यहाँ लगभग हर मौसम में विदेशी पर्यटकों का आना लगा रहता है। इसलिेए यहाँ पर कम जनसंख्या के बावजूद खाद्य व व्यंजनों में चीनी की खपत काफ़ी रहती है।
भूटान चैम्बर ऑफ कॉमर्स एडं इडंस्ट्री के कृषि विशेषज्ञ येशी डोरजी के अनुसार भूटान में कुल क्षेत्रफल के 13.79 फ़ीसदी क्षेत्र में ही खेती होती है। इसलिए पड़ौसी देश होने के नाते कृषि से जुड़ा हमारा अधिकांश व्यापार और कारोबार भारत के साथ होता है। यहाँ पर चीनी आयात करने में सबसे ज्यादा भारत को तरजीह दी जाती है। बदलते समय के साथ कारोबारी रिश्ते और मज़बूत हो इसके लिये दोनों देश मिलकर चीनी ट्रेड में क्या कुछ नया और हितकर समझौता कर सकते है इसके लिए सरकारी स्तर पर सहयोग के एग्रीमेंट पर भी विचार किया जा रहा है।
भूटान की सांगे कम्पनी के प्रबंध निदेशक फुह सेरिंग ने कहा कि 2017 के सांखिकी आँकड़ो के अनुसार भूटान में 14,856 टन गन्ने का उत्पादन हुआ था जो दुनिया की 88 वीं रैंकिंग है। इतने सिमित क्षेत्रफल व कम मात्रा में गन्ना उत्पादन होने के कारण यहाँ इंडस्ट्री लगाना चुनौती भरा है इसलिए हम चीनी आयात पर ज़ोर दे रहे है। चीनी आयात के लिहाज़ से भारत हमारे लिए सबसे ज्यादा उपयुक्त देश है। इसलिए हम इस सुगर एक्सपो में देखेंगे कि चीनी निर्यात से जुड़ी कम्पनियाँ हमारे देश में मार्जिन रेट पर ग्रेड आधारित चीनी निर्यात करने में कितनी रुचि लेती है।
भूटान के तासीगंज जिले की कृषि प्रसंस्करण अधिकारी तेशिंग यांग्चिन ने कहा कि दक्षिण भूटान में गन्ना ज्यादा उत्पादित होता है इसलिए यहाँ के युवाओं के लिेए सुगर उद्योग में क्या संभावनाएँ तैयार की जा सकती है इन सभी विषयों को लेकर हमारे विशेषज्ञ सुगर एक्सपो का दौरा करेंगे।
भूटान के युवा उद्यमी नाग्मेय डोरजी ने कहा कि मैं दक्षिण भूटान के मोंगर जिले से आता हूँ हमारे देश में सिर्फ़ दक्षिणी भूटान में ही गन्ना की खेती होती है लेकिन यहाँ चीनी मिल नहीं होने से गन्ना प्रसंस्करण नहीं हो पा रहा तो हम कोल्हू से गुड व खांडसारी बनाते है। अब हमें पता चला है कि कोलकाता में सुगर एक्सपो हो रहा है तो हम भी जांएगे और देखेंगे कि घरेलू स्तर पर कोल्हू के विकल्प के अलावा नई तकनीक से युक्त छोटी मशीनें कौन सी मिल सकती है जिससे हम घरेलू स्तर पर गन्ने से चीनी व अन्य उत्पाद तैयार कर सकते है।
रॉयल भूटान सरकार के कृषि मंत्रालय में अधिकारी एवं द्रुक हॉर्टीज सीईओ निरोला हेमा ने कहा कि देश में गन्ने की खेती को बढावा तब ही मिलेगा जब गन्ने के प्रसंस्कृत उत्पाद तैयार करने के कारख़ाने भूटान में लगेंगे और यहाँ पर ही चीनी उत्पादित की जाएगी। इससे एक ओर जहाँ देश में गन्ना उत्पादन कर रहे किसानों का लाभ होगा वहीं स्थानीय युवाओं को रोज़गार मिलने के अलावा देश में चीनी आयात की निर्भरता कम होने से आर्थिक सम्पन्नता भी आएगी।